मांझी के फैसले नियम विरुद्ध: नीतीश

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मांझी सरकार के फैसलों को निरस्त करने के अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था. शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हीं फैसलों को निरस्त किया गया है, जिनमें प्रक्रियाओं और नियम का पालन नहीं किया गया था. उन्होंने कैबिनेट की प्रक्रिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2015 6:43 AM
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मांझी सरकार के फैसलों को निरस्त करने के अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था. शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हीं फैसलों को निरस्त किया गया है, जिनमें प्रक्रियाओं और नियम का पालन नहीं किया गया था.

उन्होंने कैबिनेट की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए कहा कि रूल ऑफ एग्जिक्यूटिव बिजनेस के तहत कैबिनेट का संचालन होता है, जो संविधान से निकलता है. जिन फैसलों को निरस्त किये जाने का निर्णय लिया गया है, वे अन्यान्य मद में लिये गये फैसले थे. कैबिनेट में जो फैसला लिया जाता है, उसके लिए संबंधित प्रशासी विभाग से एक कैबिनेट नोट (मंत्रिपरिषद के लिए संलेख) आता है. इस संलेख पर यदि विधिक राय लेनी होती है, विधि विभाग से राय ली जाती है.

वित्तीय मामलों में वित्त विभाग की राय ली जाती है. सेवा इत्यादि से संबंधित मामलों में सामान्य प्रशासन विभाग मामले को देखता है और अपनी राय देता है. प्रशासी विभाग ऐसे मामलों को मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग को भेजता है. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग समीक्षा कर संबंधित विभागों द्वारा दी गयी राय को देखते हुए मंत्रिपरिषद की बैठक की कार्य सूची में शामिल करता है और उस पर मंत्रिमंडल विचार करता है और निर्णय लेता है. उन्होंने कहा कि नये सिरे से ऐसे मामलों पर विचार कर निर्णय लिया जायेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्यान्य मद में बहुत सारे ऐसे निर्णय लिये गये थे, जिनमें मंत्रिपरिषद के लिए संलेख था ही नहीं. किसी भी संबद्ध विभाग से राय भी नहीं ली गयी थी. मंत्रिपरिषद की बैठक में ही कोई बात कर ली गयी और इसे कैबिनेट का निर्णय के रूप में प्रचारित किया गया. उन्होंने कहा कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहने और राज्य में साढ़े आठ वर्षो तक मंत्रिमंडल की अध्यक्षता करने का मौका मिला है. उपरोक्त निर्णय के संबंध में विधिक राय ली गयी. विधिक राय आयी कि मंत्रिपरिषद के निर्णय के लिए निर्धारित तौर-तरीके को अपनाया नहीं गया. ऐसे मामले में मंत्रिपरिषद के निर्णय को बदलने, निरस्त करने का अधिकार कैबिनेट को है. विभागों को स्वतंत्रता दी गयी है, विभाग स्वतंत्र है कि यदि वे चाहे तो ऐसे मामलों की समीक्षा कर नियमों का पालन कराते हुए नियम संगत फैसला लेने के लिए मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्ताव ला सकते हैं.
निर्णय मेरिट के आधार पर
मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्यान्य मद में ऐसे निर्णयों को निरस्त करने का निर्णय मेरिट के आधार पर लिया गया. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार के फैसलों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस प्रकार कोई भी शासन प्रणाली स्वच्छंद तरीके से नहीं चलती है. यदि ऐसे निर्णयों को सुधारा नहीं जायेगा, तो खतरनाक परंपरा शुरू हो जायेगी.

अगर पूर्व की सरकार भी चाहती तो वह खुद ऐसे निर्णयों पर कुछ नहीं कर सकती थी. उन्होंने कहा कि मांझी सरकार द्वारा लिये गये इन निर्णयों को ‘नो डिसीजन’ कहा जायेगा. खबरों में आने के लिए उनके द्वारा ऐसे निर्णय लिये गये. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन विषयों में समीक्षा कर मेरिट के आधार पर कोई भी निर्णय ले सकती है. उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर पुलिसकर्मियों को 13 महीने का वेतन देना है, तो यह निर्णय मेरे कार्यकाल में ही सैद्धांतिक रूप से हुआ है. इस विषय को अन्यान्य में नहीं करना चाहिए, बल्कि उसको बाकायदा कैबिनेट नोट के जरिये करना चाहिए था. वह तो नहीं हुआ, इस प्रकार के निर्णय नहीं माने जायेंगे. इसी प्रकार अन्य विषयों पर पूरी प्रक्रिया को अपना कर उचित तरीके से यदि प्रशासी विभाग प्रस्ताव लायेगा, तो इस पर मंत्रिपरिषद उचित निर्णय लेगी.

रूल ऑफ लॉ स्थापित करेगी सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेवारी ‘रूल ऑफ लॉ’ स्थापित करने की है. हमारे कार्यकाल में जो निर्णय लिये गये थे या लिये जायेंगे वह प्रक्रिया का पालन करते हुए लिये जायेंगे.

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