52 साल बाद भी नागरिक सुविधा जस की तस

आदित्यपुर: अविभाजित बिहार में 13 मार्च 1963 को राज्य सरकार ने आदित्यपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) का गठन किया था. इसके लिए तत्कालीन बिहार सरकार के उप सचिव केपी सिन्हा ने नोटिफेशन जारी किया था. उस समय इसके अधीन 26 गांव व 17 वार्ड की कुल आबादी दस हजार थी. समय के अनुसार यहां की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2015 7:43 AM
आदित्यपुर: अविभाजित बिहार में 13 मार्च 1963 को राज्य सरकार ने आदित्यपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) का गठन किया था. इसके लिए तत्कालीन बिहार सरकार के उप सचिव केपी सिन्हा ने नोटिफेशन जारी किया था.

उस समय इसके अधीन 26 गांव व 17 वार्ड की कुल आबादी दस हजार थी. समय के अनुसार यहां की आबादी करीब बीस गुणा बढ़ गयी, लेकिन यहां की नागरिक सुविधा जस की तस है. जनसंख्या के हिसाब से अक्षेस को प्रोन्नत होकर नगर परिषद तो बना पर पेयजल, सफाई, स्वास्थ्य आदि की व्यवस्था नहीं बढ़ी. आबादी के साथ यहां जो चीजें बढ़ी वे हैं प्रदूषण, अव्यवस्था, मलीन बस्तियां, गंदगी, कंक्रीट के जंगल और कुव्यवस्था.

12 साल तक नहीं रही कोई कमेटी
आदित्यपुर अक्षेस के चेयरमैन आदित्यपुर विकास पदाधिकारी हुआ करते थे. 1972 में आयडा के गठन के बाद इसके एमडी अक्षेस के चेयरमैन होते थे. 1989 से अनुंडलाधिकारी को अक्षेस का चेयरमैन बनाया जाने लगा. सरकार द्वारा इसके उपाध्यक्ष व 28 सदस्यों का मनोयन किया जाता था. 1996 से 2008 तक कोई कमेटी नहीं बनी. वन बिहारी महतो इसके पहले उपाध्यक्ष थे. इसके बाद रामपारस सिन्हा, अखिल रंजन महतो, व रामवृक्ष प्रसाद गुप्ता उपाध्यक्ष रहे.
2008 में पहली बार निर्वाचन
2008 में पहली बार पांच सालों के लिए स्थानीय निकाय का चुनाव हुआ और आदित्यपुर अक्षेस आदित्यपुर नगर परिषद बना. रीता श्रीवास्तव इसकी पहली व राधा सांडिल दूसरी अध्यक्ष चुनी गयीं.
आवास बोर्ड ने 1989 में किया था हैंडओवर
आवास बोर्ड द्वारा तब तक बनी कॉलोनियों को आदित्यपुर अक्षेस को हैंडओवर किया था. बाद में बसायी गयी कॉलोनियों को अब तक स्थानीय निकाय को नहीं सौंपा गया है. नियमानुसार कॉलोनी में सभी सुविधा बहाल करने के बाद उसे स्थानीय निकाय को सौंप देना है. नयी कॉलोनी में आवास बोर्ड ने सड़क, नाली व पेयजल आदि की कोई व्यवस्था नहीं की.
1985 के बाद बोरिंग की पड़ी जरूरत
बताया जाता है कि आदित्यपुर में वर्ष 1985 के बाद पानी के लिए बोरिंग की जरूरत पड़ने लगी. इससे पूर्व सप्लाई पानी व कुआं से जरूरतें पूरी हो जाती थी.
मेरे कार्यकाल का सिर्फ दो वर्ष हुआ है. हमारी प्राथमिकता शुरू से सिवरेज व ड्रेनेज सिस्टम को दुरूस्त करने की रही है. अपने ही कार्यकाल में इस समस्या का समाधान कर लेंगे.
राधा सांडिल, अध्यक्ष नप आदित्यपुर

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