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नीतीश ने 2010 में ही अलग होने का बना लिया था मन : सुशील मोदी

पटना: नरेंद्र मोदी के भोज रद्द मामले को ले कर चार वर्ष बाद एक बार फिर भाजपा-जदयू के बीच तकरार शुरू हो गयी है. शनिवार को भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने एक और खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार ने तो 2010 में ही भाजपा से अलग होने का […]

पटना: नरेंद्र मोदी के भोज रद्द मामले को ले कर चार वर्ष बाद एक बार फिर भाजपा-जदयू के बीच तकरार शुरू हो गयी है. शनिवार को भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने एक और खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार ने तो 2010 में ही भाजपा से अलग होने का मन बना लिया था.

2010 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा अपनी पहले की 55 सीटों की संख्या से आगे निकलने लगी, तब नीतीश कुमार अवाक रह गये थे. चुनाव के दौरान भाजपा की अधिकतर सीटों पर वे प्रचार करने तक नहीं गये थे. जब शानदार सफलता मिली, तब जनता को धन्यवाद देने के लिए उन्होंने अकेले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली.

तब भाजपा के लोग साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के आमंत्रण का इंतजार ही करते रह गये. उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत ईष्र्या-द्वेष और राजनीतिक स्पर्धा के कारण पार्टी के शीर्ष नेताओं को दिया गया रात्रि भोज रद्द किया था. नीतीश कुमार ने भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के शीर्ष नेताओं के सामने शर्त रखी थी कि यदि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी आये, तो रात्रि-भोज रद्द समझा जाये.

भाजपा ने यह शर्त स्वीकार नहीं की, इस पर नीतीश कुमार ने दोपहर में ही भोज रद्द करने का फैसला सुना दिया. गंठबंधन तो उसी दिन टूट जाता, किंतु नीतीश कुमार मान-मनौव्वल में लग गये. उन्होंने कहा कि अगर गंठबंधन टूटेगा, तो लालू प्रसाद के ‘आतंक राज’ की वापसी को मौका मिलेगा. भाजपा ने तब ‘जंगल-राज’ रोकने के नाम पर अपमान का घूंट पी लिया. आज नीतीश कुमार अपना दंभी चेहरा छुपाने के लिए भोज की अपमानजनक शर्त का सच नहीं बता रहें.

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