बिहार में महंगी हुई बिजली
पटना: पहली अप्रैल से उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का बोझ बढ़ जायेगा. राज्य बिजली रेगुलेटरी कमीशन ने सोमवार को बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा की. ग्रामीण क्षेत्र में 10 पैसे और शहरी क्षेत्र में 15 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी गयी है. इसके अलावा कुटीर ज्योति उपभोक्ताओं के मासिक फिक्स्ड बिल पांच रुपये बढ़ […]
पटना: पहली अप्रैल से उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का बोझ बढ़ जायेगा. राज्य बिजली रेगुलेटरी कमीशन ने सोमवार को बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा की. ग्रामीण क्षेत्र में 10 पैसे और शहरी क्षेत्र में 15 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी गयी है. इसके अलावा कुटीर ज्योति उपभोक्ताओं के मासिक फिक्स्ड बिल पांच रुपये बढ़ गया है, जबकि नॉन डोमेस्टिक ग्रामीण उपभोक्ताओं के फिक्स्ड मासिक बिल में 10 रुपये की वृद्धि हुई है.
हालांकि, सिंचाई के लिए बिजली की दर को बढ़ोतरी से मुक्त रखा गया है. कमीशन के अध्यक्ष यूएन पंजियार और सदस्य एससी झा ने संवाददाता सम्मेलन में बढ़ी हुई बिजली दर की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए बिजली दर में 2.5 फीसदी की वृद्धि हुई है. इससे बिजली कंपनी को 113 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आय होगी, जिससे उसे अपना राजस्व गैप पाटने में मदद मिलेगी. आयोग ने पाया है कि नार्थ व साउथ बिहार पावर वितरण कंपनियों का राजस्व गैप 229 करोड़ होता है. शेष राजस्व गैप को बिजली कंपनी अपने नेटवर्क को सुधार कर कमी ला सकती है. उन्होंने कहा कि बिजली कंपनी ने बिजली दरों में 20.66 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव दिया था.
मासिक न्यूनतम चार्ज समाप्त : श्री पंजियार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के नॉन डोमेस्टिक उपभोक्ता के मासिक न्यूनतम चार्ज समाप्त कर दिया गया है. एचटी कंज्यूमर के मामले में ट्रांसफॉर्मर की क्षमता 150 फीसदी तक होने की सीमा को वापस लिया गया है. घरेलू उपभोक्ता को पावर फैक्टर सरचार्ज से मुक्त किया गया है. एलटी कंज्यूमर के मामले में वर्तमान पांच फीसदी पावर फैक्टर सरचार्ज की फ्लैट रेट को वापस ले लिया गया है. अब सभी प्रकार के हाइ टेंशन उपभोक्ताओं के लिए पीक आवर में बिजली महंगी व ऑफ पावर में सस्ती मिलेगी. मासिक किस्तों में मीटर रेंट के भुगतान के मामले में उपभोक्ता एक ही बार में मीटर कॉस्ट का भुगतान कर सकते हैं. वर्तमान विविध चार्ज की दर में कोई वृद्धि नहीं की गयी है. 50 केवीए या उससे ऊपर कंट्रैक्ट डिमांडवाले उपभोक्ताओं को भी एचटीएस-1 श्रेणी की आपूर्ति की सुविधा प्राप्त करने की स्वीकृति दी गयी है.
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनी को आपूर्ति लॉस 20 फीसदी रखने के लिए कहा गया है. नार्थ बिहार ने 28.40 व साउथ बिहार पावर वितरण कंपनी ने 41.65 फीसदी बिजली आपूर्ति लॉस दिखाया है. इसके लिए नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण, कंडक्टर्स का रिप्लेसमेंट, शत प्रतिशत उपभोक्ताओं को मीटर उपलब्ध कराने, खराब ट्रांसफॉर्मरों को बदलने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार से प्राप्त वित्तीय सहायता व निवेश पर विचार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 1762 .20 करोड़ रुपये रिसोर्स गैप सहायता दी है. इनमें कुल 1281.81 करोड़ रुपये आयोग द्वारा अनुमोदित 20 फीसदी क्षति से अधिक है. उसे समायोजित किया गया है. संवाददाता सम्मेलन में आयोग के सचिव परमानंद सिंह, उप निदेशक लक्ष्मण भगत सहित अधिकारी उपस्थित थे.