केंद्र का मुंह नहीं देखना पड़ेगा

जेटली ने कहा कि अतीत में राज्यों को छोटी-छोटी बातों के लिए केंद्र का मुंह देखना पड़ता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इस सोच और चलन को बदलने का काम किया है और वह सहकारी संघवाद के साथ प्रतिस्पर्धी संघवाद को आगे बढ़ाना चाहती है.उन्होंने कहा कि हमने कर ढांचे में राज्यों का हिस्सा 10 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2015 9:03 PM

जेटली ने कहा कि अतीत में राज्यों को छोटी-छोटी बातों के लिए केंद्र का मुंह देखना पड़ता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इस सोच और चलन को बदलने का काम किया है और वह सहकारी संघवाद के साथ प्रतिस्पर्धी संघवाद को आगे बढ़ाना चाहती है.उन्होंने कहा कि हमने कर ढांचे में राज्यों का हिस्सा 10 प्रतिशत बढ़ाने के 14वें वित्त आयोग की सिफारिश को स्वीकार किया है, जिसके बाद पूरे देश के कर बास्केट में राज्यों का हिस्सा बढ़ कर 62 प्रतिशत हो गया है, जबकि केंद्र का हिस्सा 38 प्रतिशत रह गया है. यह पुनर्परिभाषित वित्तीय संघीय ढांचा है.वित्त मंत्री ने कहा कि इसके जरिये राज्यों के खाते में 1.86 लाख करोड़ रुपये अधिक गए हैं. हमारा मानना है कि राज्य समृद्ध होंगे तब देश समृद्ध होगा.जेटली ने कहा कि हमने अगले तीन वर्षो में राजकोषीय घाटे को 4.1 प्रतिशत से कम करके 3 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है.

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