12 साल में लगे 36 करोड़ पौधे, 25 करोड़ बचे जीवित

राज्य में 2012 से मार्च 2023 तक करीब 36 करोड़ पौधारोपण हुआ. इसमें से करीब 25 करोड़ पौधे जीवित हैं. य

By Prabhat Khabar News Desk | April 17, 2024 12:58 AM

संवाददाता, पटना राज्य में 2012 से मार्च 2023 तक करीब 36 करोड़ पौधारोपण हुआ. इसमें से करीब 25 करोड़ पौधे जीवित हैं. यह कुल लगाये गये पौधे का करीब 70 फीसदी है. इसका असर है कि राज्य का हरित आवरण अब नौ फीसदी से बढ़कर तय लक्ष्य 16 फीसदी के करीब पहुंच चुका है. वर्ष 2023-24 में भी करीब चार करोड़ 34 लाख पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, इसकी गिनती अंतिम चरण में है. पौधारोपण करने वालों को ही इनके देखरेख की जिम्मेदारी होती है. सूत्रों के अनुसार राज्य में 2012 में हरियाली मिशन की शुरुआत हुई. साथ ही दूसरे कृषि रोड मैप 2012-17 में 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया. इस दौरान करीब 18.47 करोड़ पौधारोपण किया गया. तीसरे कृषि रोड मैप में करीब आठ करोड़ 49 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं. वहीं चौथे कृषि रोड में भी पाैधारोपण की कार्ययोजना तैयार हो चुकी है. यह पहले की तरह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मार्ग निर्देशन में अन्य विभागों की सहयोग से किया जायेगा. किसानों और जीविका दीदियों को बढ़ावा सरकार कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए किसानों को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से पौधे मुहैया करवा रही है. इसमें मनरेगा और जीविका दीदियों को भी शामिल किया गया है. योजना के अंतर्गत लोग अपनी निजी भूमि पर काष्ठ और फलदार दोनों किस्म के पौधे लगा सकते हैं. फलदार पौधे में आम, लीची, जामुन, कटहल, आंवला, बेल, नीबू, अमरूद आदि का चयन स्थल विशेष की जलवायु एवं मिट्टी के आधार पर किया जाता है. पौधारोपण से हरित आवरण बढ़ने का गणित पर्यावरणविदों का कहना है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में यदि करीब छह हजार पौधारोपण हो और करीब 60 से 80 फीसदी तक पौधे जीवित रह जायें तो करीब एक फीसदी हरित आवरण बढ़ने की संभावना होती है. ऐसे में राज्य में एक फीसदी हरित आवरण बढ़ाने के लिए करीब पांच करोड़ पौधारोपण की आवश्यकता है. इसी फॉर्मूले पर राज्य का हरित आवरण करीब नौ फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी करने के लिए करीब 40 करोड़ पौधारोपण की जरूरत थी. हरित आवरण के मामले में राष्ट्रीय औसत 23.8 फीसदी पर्यावरणविदों का कहना है कि हरित आवरण के मामले में देश का राष्ट्रीय औसत करीब 23.8 फीसदी है. वहीं पर्यावरण संतुलन के लिए मैदानी इलाकों में करीब 33 फीसदी हरित आवरण होना आवश्यक है. ऐसे में बिहार में फिलहाल 17 फीसदी हरित आवरण करने के लक्ष्य पर ही काम हो रहा है.

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