कब खर्च होगी नुरूम की राशि

पटना: शहर की साफ-सफाई व ठोस कचरा प्रबंधन के लिए नुरूम योजना के तहत पटना को केंद्र सरकार से वर्ष 2008 में 26 करोड़ रुपये मिले थे, जो आज 29.5 करोड़ रुपया हो गया है. यह राशि आज भी बैंक में सूद बढ़ा रहा है, वहीं पांच साल गुजर जाने के बाद भी नगर निगम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:34 PM

पटना: शहर की साफ-सफाई व ठोस कचरा प्रबंधन के लिए नुरूम योजना के तहत पटना को केंद्र सरकार से वर्ष 2008 में 26 करोड़ रुपये मिले थे, जो आज 29.5 करोड़ रुपया हो गया है. यह राशि आज भी बैंक में सूद बढ़ा रहा है, वहीं पांच साल गुजर जाने के बाद भी नगर निगम न तो जरूरी उपकरणों की खरीद कर पाया और न ही प्रोसेसिंग प्लांट लगा पाया.

निगम के एक पूर्व अधिकारी के मुताबिक इसकी मुख्य वजह नगर निगम में वर्ष 2009 में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो का पड़ा वह छापा है, जिसमें तत्कालीन नगर आयुक्त सहित 14 अधिकारी व कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसके कारण कोई नगर आयुक्त इस पैसे को हाथ नहीं लगाना चाहता.

काम करवाया, पर नहीं किया भुगतान
वर्ष 2008 में तत्कालीन नगर आयुक्त ने नुरूम की शर्तो के मुताबिक शहर की साफ -सफाई के लिए आउटसोर्सिग के माध्यम से निजी कंपनी एटूजेड का चयन किया था. चयनित कंपनी ने प्रयोग के तौर पर नौ वार्डो व नौ प्रमुख सड़कों से कचरे का उठाव शुरू किया. डेढ़ वर्षो तक वह काम करती रही, लेकिन एक रुपये का भुगतान नहीं किया गया. 20 जून, 2011 को कंपनी ने काम करना बंद कर दिया. इसके बाद निगम प्रशासन ने ठोस कचरा प्रबंधन पर प्लान बनाया. विभागीय निर्देश के बाद बुडको ने भी स्पेशल परपस व्हीकल कंपनी के तहत ठोस कचरा प्रबंधन पर प्लानिंग की. बुडको को टेंडर निकालने की बारी आयी, तो विभाग ने फिर सफाई व्यवस्था की जिम्मेवारी निगम को सौंप दी. छह माह से अधिक हो गये, लेकिन अब तक ठोस कचरा प्रबंधन पर कोई पहल नहीं हुई. नुरूम के तहत मिली राशि का सूद बढ़ा रहा है, लेकिन शहरवासी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहा है.

कोर्ट की फटकार का भी असर नहीं
निगम क्षेत्र की नारकीय सफाई व्यवस्था को देखते हुए पिछले दो महीनों में दर्जनों बार हाइकोर्ट ने निगम प्रशासन को फटकार लगायी. इतना ही नहीं, नगर आयुक्त को घंटों कोर्ट में खड़ा कराया और सफाई व्यवस्था की रिपोर्ट मांगी. हाइकोर्ट ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से कचरा उठाव की व्यवस्था का लाइव निगम प्रशासन को दिखाया. कहा, एक भी योजना वह समय से पूरा करता. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बिना एनओसी लिये संपतचक-बैरिया में कचरा डंप कर रहे हैं. इसके बावजूद निगम प्रशासन की नींद नहीं खुली.

मुख्य सड़कों की ही हो रही सफाई
निगम क्षेत्र के फ्रेजर रोड, स्टेशन रोड, न्यू डाकबंगला रोड, बुद्ध मार्ग, एक्जिबिशन रोड, नाला रोड, अशोक राजपथ, गांधी मैदान, बैंक रोड, कंकड़बाग मुख्य सड़क, पुराना बाइपास रोड, राजेंद्र पथ, बोरिंग रोड, बोरिंग कैनाल रोड, एसके पुरी, किदवईपुरी व सचिवालय के आस-पास स्थित कूड़ा प्वाइंटों से तो नियमित कचरे का उठाव होता है, लेकिन अन्य सड़कों पर न तो झाड़ू लगाया जाता है और न ही नियमित रूप से कचरे का ही उठाव होता है. इनमें गर्दनीबाग, राजेंद्रनगर, बहादुरपुर, लोहानीपुर, नया टोला, साहित्य सम्मेलन के पीछे, मुहल्लहपुर, संदलपुर, सैदपुर गली, महावीर कॉलोनी, कंकड़बाग केंद्रीय विद्यालय के आस-पास, मुन्ना चौक, कांटी फैक्टरी रोड आदि शामिल हैं.

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