भाषा वही जिंदा रहती है, जो समय के साथ खुद को बदले

पटना: भाषा वही जिंदा रहती है जिसमें समय के साथ खुद को बदलने की क्षमता हो. उर्दू भाषा बोलने और समझने वालों को भी चाहिए कि अपने बच्चों को उर्दू जरूर पढ़ाएं. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बिलाल नाजकी ने ये बातें बेटर वर्ल्ड मिशन के तत्वावधान में उर्दू भवन में ‘बिहार की दूसरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2015 7:11 AM
पटना: भाषा वही जिंदा रहती है जिसमें समय के साथ खुद को बदलने की क्षमता हो. उर्दू भाषा बोलने और समझने वालों को भी चाहिए कि अपने बच्चों को उर्दू जरूर पढ़ाएं. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बिलाल नाजकी ने ये बातें बेटर वर्ल्ड मिशन के तत्वावधान में उर्दू भवन में ‘बिहार की दूसरी सरकारी भाषा उर्दू, हम और हमारी जिम्मेवारियां’ विषय पर आयोजित सेमिनार में कहीं.
सेमिनार की अध्यक्षता वीर कुंवर सिंह विवि के उर्दू विभाग के प्रो सैयद शाह हसीन अहमद ने की. उन्होंने कहा कि उर्दू हिंदुस्तान की भाषा है. हिंदुस्तानियों ने इसे मिल-जुल कर सींचा है. आज की पीढ़ी उर्दू से विमुख हो रही है. सेमिनार के संचालक और संस्था के सचिव अशरफ अस्थानवी ने कहा कि बिहार में उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा 1981 से प्राप्त है. राज्य की उर्दू भाषी जनता की उदासीनता का आलम यह है कि 99 प्रतिशत लोगों को यह पता ही नहीं है कि कार्यालयी कार्यो में उर्दू का प्रयोग उनका कानूनी अधिकार है.
मौके पर शिक्षाविद नकी अहमद किदवई, समाजसेवी मो हुसैन, वरिष्ठ पत्रकार सैयद इम्तयाज करीम, आरिफ अंसारी, मजहर आलम मखदूमी, जलाल अजीमाबादी, नुरूस्सलाम नदवी, अकबर रजा जमशेद व डॉ अब्दुल वाहिद अंसारी ने भी संबोधित किया.

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