बिहार को हर साल 10 हजार करोड़ का नुकसान: नीतीश

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा लागू करने से राज्य को सालाना करीब 10 हजार करोड़ का नुकसान होगा. इस बार केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी 32 से बढ़ा कर 42 प्रतिशत करने के बाद करीब 50 हजार करोड़ रुपये ही मिलेंगे, जबकि 13वें वित्त आयोग में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2015 6:27 AM
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा लागू करने से राज्य को सालाना करीब 10 हजार करोड़ का नुकसान होगा. इस बार केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी 32 से बढ़ा कर 42 प्रतिशत करने के बाद करीब 50 हजार करोड़ रुपये ही मिलेंगे, जबकि 13वें वित्त आयोग में करीब 48 हजार करोड़ मिले थे. सीएम ने सोमवार को 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा केंद्र के स्वीकार करने के बाद इससे बिहार के संदर्भ में उत्पन्न स्थिति पर विचार करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलायी थी. इसमें जदयू, राजद, कांग्रेस और सीपीआइ शामिल हुए थे.

परंतु भाजपा और उसके सहयोगी दल रालोसपा और लोजपा शामिल नहीं हुए. इस पर सीएम ने कहा कि भाजपा का इस बैठक में नहीं आना बेहद दुखद है. भाजपा का इस बैठक में नहीं आने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने भाजपा से आग्रह किया कि नकारात्मक रुख बदले, हठ का त्याग करें. बिहार के हित के मामले में सभी दलों को मिल कर एकजुट होना चाहिए. जब सभी दल मिल कर केंद्र को ज्ञापन सौंप सकते हैं, तो एक साथ मिल कर इस मामले पर चर्चा क्यों नहीं कर सकते हैं.

सीएम ने कहा कि वे केंद्र पर किसी तरह का आरोप नहीं लगा रहे हैं और न ही किसी के खिलाफ हैं. बिहार का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई की मांग केंद्र से करते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले पर बैठक में शामिल सभी दल मिल कर एक विस्तृत पत्र जल्द ही केंद्र को लिखेंगे. इसमें राज्य को होने वाले नुकसान का विस्तृत आंकड़ा भी शामिल होगा. एक तरफ केंद्र ने टैक्स शेयर में बढ़ोतरी की है, तो दूसरी तरफ बीआरजीएफ बंद कर दिया और केंद्रीय प्रायोजित योजना में बड़ी मात्र में कटौती कर दी है. इस वजह से जितनी हिस्सेदारी बढ़ायी है, उससे ज्यादा राज्य को नुकसान हो गया है.

पूरा आकलन करने पर यह करीब 10 हजार करोड़ रुपये आता है. झारखंड से अलग होने के बाद बीआरजीएफ के तहत 12 हजार करोड़ रुपये राज्य को विशेष सहायता के रूप में मिलते थे. अगर टैक्स की इस हिस्सेदारी को स्थिर मानी जाये, तो आगामी पांच साल (2015-16 से 2019-20 तक) में यह नुकसान करीब 50 हजार करोड़ रुपये का होता है. हर साल यह अंतर बढ़ता चला जायेगा. बिहार के नुकसान की भरपाई किसी ने किसी रूप में केंद्र को करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह ऐसा सवाल है, जो पूरे राज्य के हित से जुड़ा हुआ है. ऐसे में भाजपा को अड़ियल रवैया नहीं अपनाना चाहिए. खासतौर से पहल करके सभी दलों को मिल कर केंद्र से भरपाई की मांग करनी चाहिए. भाजपा अगर इस बैठक में आती, तो राज्य को क्या और कैसे फायदा हुआ, यह बताती. नीतीश ने कहा कि 26 फरवरी को प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर इस नुकसान का जिक्र किया गया था. 26 फरवरी की शाम को केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात करके इस मामले पर चर्चा भी की थी. राज्य को हुए नुकसान की भरपाई करने पर चर्चा भी हुई. आंध्र प्रदेश की तरह बिहार को भी विशेष सहायता देने पर चर्चा हुई थी. बिहार के नुकसान की भरपाई करने के लिए केंद्र से मांग की जायेगी.
इस बैठक में राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, वित्त मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, कांग्रेस के सदानंद सिंह, सीपीआइ के अवधेश नारायण सिंह, सीपीएम के एमएलसी केदार पांडेय, राजद विधान पार्षद भोला यादव, कांग्रेस विधान पार्षद मदन मोहन झा और जदयू विधान पार्षद संजय कुमार सिंह के अलावा मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, वित्त प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. धर्मेद्र सिंह गंगवार, अरुण कुमार सिंह, योजना एवं विकास सचिव दीपक प्रसाद, सचिव चंचल कुमार, आतिश चंद्रा, गोपाल प्रसाद सिंह समेत अन्य शामिल थे.

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