मर्यादा सीखें राम से : ओझा

पटना: धर्म का अर्थ है मर्यादा, मर्यादा का पालन करना ही रामनवमी का सही अर्थ है. भगवान श्रीराम चंद्र ने अपने पूरे जीवन काल में अपनी मर्यादाओं का पालन किया था. यह कहना है कथा व्यास रमेश भाई ओझा का. गांधी मैदान में चले रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ गोकुल धाम में कथा के चौथे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2015 6:26 AM
पटना: धर्म का अर्थ है मर्यादा, मर्यादा का पालन करना ही रामनवमी का सही अर्थ है. भगवान श्रीराम चंद्र ने अपने पूरे जीवन काल में अपनी मर्यादाओं का पालन किया था. यह कहना है कथा व्यास रमेश भाई ओझा का. गांधी मैदान में चले रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ गोकुल धाम में कथा के चौथे दिन भाई रमेश ओझा ने कहा कि मनुष्य अगर अपनी मर्यादा में रह कर जीवन जीता है, उसको किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है. इसका उदाहरण उन्होंने भगवान श्रीराम के तौर पर दिया. शनिवार को भागवत कथा में राजा परीक्षित के जन्म शुक पूजन के प्रसंगों पर प्रवचन किया.
इच्छा दुख की जननी है : भाई रमेश ओझा ने श्रद्धालुओं को कथा सुनाते हुए कहा कि इच्छा हर मनुष्य के दुख की जननी है. आवश्यकता से अधिक इच्छा करने पर जब पूरी नहीं होती, तो मनुष्य कई दिनों तक दुखी रहता है और उसका असर उसके पूरे परिवार पर पड़ता है.

उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा कि पिछले कुछ सालों से टीवी में कौन बनेगा करोड़पति सीरियल आता है. इस कार्यक्रम में लोग सवाल और जवाब पर ध्यान नहीं देता, सिर्फ किन लोगों को कितने रुपये मिले इस पर सभी लोगों का ध्यान रहता है. इस तरह के इच्छा रखने वाला कभी सुखी नहीं रहता. इस लिए इच्छा अपनी स्थिति को देखते हुए रखना चाहिए.

क्रोध अग्नि है: प्रवचन देते हुए कथा व्यास श्री ओझा ने कहा कि क्रोध अग्नि के समान है, जो स्वयं को जलाती है. क्रोध करने से स्वयं को हानि होता है. अगर रावण के अंदर क्रोध व घमंड नहीं रहता तो उसकी युद्ध में कभी भी पराजय नहीं होती. श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि कथा जीवन का सार है और भक्ति भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले जीवन में कोई भय व कष्ट नहीं रह जाता. भागवत कथा प्राणियों को जीवन जीने का मार्ग बताती है. उन्होंने ज्ञान को जीवन का आधार बताया.

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