लेकिन डीएवी बीएसइबी के पूर्व प्राचार्य रामानुज प्रसाद को टीचर अवॉर्ड दिये जाने के मामले में नियम को ताक पर रख दिया गया. इस पर सीबीएसइ ने सवाल उठाया है तथा रामानुज प्रसाद के पास नोटिस भेजा गया है. नोटिस में पूर्व प्राचार्य से उनके 15 सालों के टीचिंग अनुभव का सर्टिफिकेट मांगा है. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने अक्तूबर में जांच के बाद सीबीएसइ ने यह नोटिस दिया है. पूर्व प्राचार्य को 2004 में सीबीएसइ टीचर पूवॉर्ड दिया गया था.
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डिग्री पर संदेह, अवॉर्ड भी फर्जी
पटना: सीबीएसइ की ओर से टीचर अवॉर्ड उसे ही दिया जा सकता है, जिसके पास 15 साल की टीचिंग का अनुभव बोर्ड के किसी मान्यता प्राप्त स्कूल का हो. साथ ही उसका नाम रीजनल ऑफिस के माध्यम से सीबीएसइ के पास भेजा जायेगा. इसमें टीचर के साथ प्रिंसिपल का भी नाम हो सकता है. लेकिन […]
पटना: सीबीएसइ की ओर से टीचर अवॉर्ड उसे ही दिया जा सकता है, जिसके पास 15 साल की टीचिंग का अनुभव बोर्ड के किसी मान्यता प्राप्त स्कूल का हो. साथ ही उसका नाम रीजनल ऑफिस के माध्यम से सीबीएसइ के पास भेजा जायेगा. इसमें टीचर के साथ प्रिंसिपल का भी नाम हो सकता है.
शुरू की गयी इन्क्वायरी
रामानुज प्रसाद को इलाहाबाद रीजन के लिए टीचर अवॉर्ड दिया तो गया था, लेकिन उन्होंने इसके लिए न तो कोई आवेदन दिया था और न ही बोर्ड ने उनका नाम चयन कर दिल्ली को भेजा था. सीबीएसइ की ओर से इसको लेकर जब जांच की गयी, तो पता चला कि डीएवी बीएसइबी के पूर्व प्राचार्य रामानुज प्रसाद का नाम सीधे सीबीएसइ के पास पहुंच गया था. सीबीएसइ की नयी चेयरपर्सन ने इस पर इन्क्वायरी शुरू कर दी है.
ऐसे रखा नियमों को ताक पर
अवॉर्ड के लिए है यह कैटेरिया
टीचर को 15 सालों का रेगुलर टीचिंग का अनुभव होना चाहिए
प्रिंसिपल को 20 सालों का रेगुलर टीचिंग अनुभव होना चाहिए
आवेदन भरे जाने तक के साल में भी आवेदक टीचर बना रहे
टीचिंग अनुभव बोर्ड के मान्यता प्राप्त मिडिल, सेकेंडरी या सीनियर सेकेंडरी स्कूल का हो
नहीं करते हैं मानक पूरे
रामानुज प्रसाद के पास 1998 से 2004 तक महज छह रेगुलर टीचिंग अनुभव प्राप्त है, जब से वे डीएवी बीएसइबी में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं.
1998 के पहले रामानुज जहानाबाद डीएवी में प्राचार्य थे, उस समय जहानाबाद डीएवी को सीबीएसइ से मान्यता नहीं मिली थी
1984-85 में रामानुज प्रसाद हरनौत के रामदत्ती कमला उच्च विद्यालय में टीचर के पद पर थे, इसे भी सीबीएसइ से मान्यता प्राप्त नहीं था
(नोट : यह जानकारी सीबीएसइ से प्राप्त की गयी है, इसी को लेकर सीबीएसइ ने पूर्व प्राचार्य के सीबीएसइ टीचर अवॉर्ड पर प्रश्न चिह्न् लगाया है)
ऐसे मिलता है सीबीएसइ अवॉर्ड
सीबीएसइ अवॉर्ड के लिए हर जोन के प्रिंसिपल इसका आवेदन संबंधित रीजनल ऑफिस के पास भेजते हैं. रीजनल ऑफिस में तमाम आवेदनों का निरीक्षण किया जाता है. जांच के बाद रीजनल ऑफिस की ओर से लिस्ट तैयार कर दिल्ली सीबीएसइ भेजी जाती है. दिल्ली सीबीएसइ की ओर से इसके लिए एक कमेटी बनायी जाती है. सात लोगों की इस कमेटी में सीबीएसइ के चेयरमैन के साथ तमाम बड़े अधिकारी होते हैं.
2004 की अवॉर्ड कमेटी में ये थे शामिल
अशोक गांगुली, चेयरमैन, सीबीएसइ (कमेटी के चेयरमैन)
प्रो डीवी शर्मा, सेक्रेटरी, काउंसिल ऑफ बोर्डस ऑफ स्कूल एजुकेशन इन इंडिया (कमेटी मेंबर)
मो सबरीन, डिपार्टमेंट ऑफ सोशल साइंस एंड ह्यूमैनिटीज, डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन, एनसीइआरटी, न्यू दिल्ली (अवॉर्ड के नॉमनी चुनना)
वाइ पी पुरांग, एक्स एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन (कमेटी मेंबर)
पपनेश कुमार, कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन, सीबीएसइ (कमेटी मेंबर)
जी बालासुब्रमण्यम, डायरेक्टर एकेडमिक, सीबीएसइ (कमेटी मेंबर)
विनीत जोशी, सेक्रेटरी, सीबीएसइ (कमेटी के मेंबर सेक्रेटरी)
सीबीएसइ की ओर से हमारे पास भी कई बार प्रिंसिपल की डिग्री को लेकर जानकारी मांगी गयी है. टीचर अवॉर्ड पर भी कई बार सीबीएसइ की ओर से लेटर आये हैं. एक बार फिर सीबीएसइ की ओर से यह मामला सामने आया है.
निखिल कुमार, अध्यक्ष, डीएवी टीचर्स एसोसिएशन, पटना
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