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एक शिक्षक के भरोसे अधिकतर स्कूल

पटना: सूबे में पहले से शिक्षकों की कमी है. मात्र एक से दो शिक्षकों के सहारे जिले के अधिकांश प्राथमिक व मध्य विद्यालय संचालित हो रहे हैं. ऐसे में भी कभी जनगणना, तो कभी चुनाव आदि कार्यो में शिक्षकों को लगा दिया जाता है. इसका असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है. इतना ही नहीं अब […]

पटना: सूबे में पहले से शिक्षकों की कमी है. मात्र एक से दो शिक्षकों के सहारे जिले के अधिकांश प्राथमिक व मध्य विद्यालय संचालित हो रहे हैं. ऐसे में भी कभी जनगणना, तो कभी चुनाव आदि कार्यो में शिक्षकों को लगा दिया जाता है. इसका असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है.

इतना ही नहीं अब पटना जिले के 585 शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के बाद इन पदों पर स्थानांतरण नहीं कर इसे समाप्त कर दिया गया है. ऐसे में अधिकांश स्कूल अब मात्र एक नियोजित शिक्षक के सहारे संचालित हो रहे है.

इस वर्ष भी कुछ शिक्षक सेवानिवृत्त होनेवाले हैं. इससे शिक्षक नियोजन प्रक्रिया पूरी होने तक स्कूल एक ही शिक्षक के सहारे संचालित होंगे.

पढ़ाएं या लेखा-जोखा संभाले : प्राथमिक विद्यालय सिद्धेश्वर नगर, मैनपुरा मात्र एक शिक्षिका के सहारे चल रहा है. स्कूल की प्रधानाध्यापिका बच्चों को पढ़ाने में नहीं, बल्कि मिड-डे-मील बनवाने में व्यस्त है. विद्यालय पहुंचते ही वह जलावन, दाल, मसाला व तेल की जुगाड़ में लग जाती है. इसके अलावा जो समय मिलता है, वो फाइलों के निबटारा में लग जाता हैं. ऐसे में प्रधानाध्यापिका बच्चों को पढ़ाएं या खाना खिलाएं.
प्राथमिक विद्यालय इंद्रपुरी व शिवपुरी समेत कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां शिक्षक-शिक्षिकाएं विद्यालय पहुंचते ही मिड डे मील के हिसाब-किताब में लग जाते हैं. इन विद्यालयों की प्रधानाध्यापिका अब सेवानिवृत्त होनेवाली है. इसके बाद इन स्कूलों में मात्र एक नियोजित शिक्षिका रह जायेंगी. पटना सिटी में कई स्कूल हैं, जिनमें अब एक शिक्षक ही रह गये हैं.
बिना पढ़े ही लौट जाते हैं बच्चे : ये तो मात्र उदाहरण है. प्राथमिक विद्यालय इंद्रपुरी व शिवपुरी समेत कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां शिक्षक-शिक्षिकाएं विद्यालय पहुंचते ही मिड-डे-मील के हिसाब-किताब में लग जाते हैं. गुरुजी को पढ़ाने का समय तक नहीं मिलता.
फाइलों के निबटारा व मिड-डे-मील के व्यस्तता के कारण पूरा दिन इसी में निकल जाता है. ऐसे में अब सेवानिवृत्त होने के बाद यदि सरकार मार्च तक शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं करती है, तो ज्यादातर स्कूल एक शिक्षक के सहारे हो जायेंगे. ऐसे में मध्याह्न् भोजन व लेखा-जोखा की जिम्मेदारी के बीच बच्चों की पढ़ाई खत्म हो रही है.
मीना कुमारी, प्रधानाध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय सिद्धेश्वर नगर, मैनपुरा
सरकार के अनदेखी के कारण स्थानांतरण नहीं किया गया. इससे पटना जिलों के 585 पद समाप्त हो गये. अंतर जिला स्थानांतरण रद्द करने से स्कूलों में परेशानी बढ़ गयी है. वैसे शिक्षक, जो दूसरे जिलों से आना चाह रहे थे. उन शिक्षकों को आने से रोक दिया गया है. सरकार की गलत प्रक्रिया से शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बाधित हो रहा है.
भोला पासवान, सचिव, शिक्षक संघ

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