संवाददाता, पटनाभाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के बारे में सरकार को नीतिगत निर्णय लेना चाहिए. वार्ता के लिए जब शिक्षकों को बुलाया गया था, तो राज्य सरकार का दायित्व था कि उतने ही लोगों को बुलाया जाता. नियोजित शिक्षकों के वेतनमान, उनके स्थानांतरण, नियमित वेतन भुगतान व पेंशन को लेकर घोर अराजकता है. लगता है राज्य सरकार सरेंडर कर दी है कि अब कुछ नहीं हो सकता है. विधान परिषद में अपने कक्ष में उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों के मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रित्वकाल में एक कमेटी बनी थी. उसने तीन राज्यों का दौरा कर अध्ययन किया कि किस तरह शिक्षकों को वेतनमान देने की व्यवस्था है. कमेटी ने रिपोर्ट सुपुर्द कर दी है. मांझी सरकार ने नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने का निर्णय लिया था. शिक्षा मंत्री ने भी सदन में घोषणा की है. सरकार को अब केवल निर्णय लेना है. शिक्षकों के स्थानांतरण के मामले में कोई व्यवस्था नहीं है. पेंशन के मामले में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षक के वेतन से दो सौ रुपये कट रहे हैं, लेकिन सरकार अपने हिस्से का अंशदान नहीं दे रही. हाइस्कूल शिक्षकों का न तो वेतन से कट रहा है. सरकार की ओर से अंशदान देने का सवाल ही नहीं उठता है. नियोजित शिक्षकों को नियमित वेतन नहीं मिलता है. पांच-छह माह पर वेतन मिलता है.
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नियोजित शिक्षकों के बारे में सरकार नीतिगत निर्णय लें : मोदी
संवाददाता, पटनाभाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के बारे में सरकार को नीतिगत निर्णय लेना चाहिए. वार्ता के लिए जब शिक्षकों को बुलाया गया था, तो राज्य सरकार का दायित्व था कि उतने ही लोगों को बुलाया जाता. नियोजित शिक्षकों के वेतनमान, उनके स्थानांतरण, नियमित वेतन भुगतान व […]
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