वनवासियों को मिलेगा जमीन का पट्टा

पटना : राज्य में अधिसूचित वन क्षेत्रों में जितने वनवासी या आदिवासी या अन्य परंपरागत लोग निवास कर रहे हैं, उन्हें उस जमीन का पट्टा देने की विशेष मुहिम चलायी जायेगी. इसके लिए इन आदिवासियों की पहचान कर सूची तैयार की जायेगी. इस काम में केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रलय विशेष तौर से बिहार की मदद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2015 6:23 AM
पटना : राज्य में अधिसूचित वन क्षेत्रों में जितने वनवासी या आदिवासी या अन्य परंपरागत लोग निवास कर रहे हैं, उन्हें उस जमीन का पट्टा देने की विशेष मुहिम चलायी जायेगी. इसके लिए इन आदिवासियों की पहचान कर सूची तैयार की जायेगी. इस काम में केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रलय विशेष तौर से बिहार की मदद करेगा.
मंत्रलय राज्य में सभी जंगल क्षेत्र में रहनेवाले लोगों की खासतौर से सेटेलाइट मैपिंग करवायेगा. इसके माध्यम से यह स्पष्ट तौर से पता चल जायेगा कि किस-किस क्षेत्र में आदिवासी वन क्षेत्रों में रह रहे हैं. इस आधार पर इन्हें जमीन देने में सहूलियत होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खासतौर से इस मुद्दे पर बिहार के मुख्य सचिव (सीएस) अंजनी कुमार सिंह के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग की. वीसी में करीब 10 मिनट तक पीएम ने इस मुद्दे पर चर्चा की और राज्य के संबंध में खास निर्देश दिये. पीएम ने इसकी समुचित मॉनीटरिंग करने की जिम्मेवारी सीएस को सौंपी है.
साथ ही इस काम को जल्द से जल्द कराने का भी निर्देश दिया है. उन्होंने मैपिंग का काम संपन्न होने के बाद जमीन का पट्टा वितरित करने का काम जल्द करने की भी बात कही.
आदिवासी और जंगल में रहनेवाले वनवासियों को उनकी जमीन का पट्टा मिलना चाहिए, ताकि उन्हें उनके पैतृक आवास का हक प्राप्त हो सके. इस संबंध में सीएस ने बताया कि राज्य के जिन जिलों में अधिसूचित वन क्षेत्र हैं और इनमें वनवासी रह रहे हैं, वहां यह सव्रे खासतौर से कराया जायेगा. इस मैपिंग के आधार पर यह देखा जायेगा कि वास्तव में जंगल क्षेत्र में कितने लोग निवास कर रहे हैं. इसी के आधार पर पट्टा दिया जायेगा.
राज्य में 13 लाख आबादी है एसटी की
बिहार में एसटी (अनुसूचित जनजाति) की आबादी करीब 13 लाख है. इसमें सभी एसटी जंगल क्षेत्र में नहीं रहते हैं. जो लंबे समय से इन वन क्षेत्रों में गुजर-बसर कर रहे हैं, उन्हें ही जमीन का अधिकार देने की योजना सरकार ने बनायी है. राज्य के भभुआ, पश्चिम चंपारण, रोहतास, जमुई, गया, नवादा और बांका जिलों में एसटी आबादी सबसे ज्यादा है.

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