रोक से सूबे के मेडिकल कॉलेजों में योग्य शिक्षकों को नहीं मिल रही प्रोन्नति
पटना: राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में वरीय शिक्षकों के पदों की कृत्रिम कमी पैदा की गयी है. स्वीकृति पदों से अधिक संख्या में वरीय शिक्षक मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में पदस्थापित हैं. एसीपी व डीएसीपी के आधार पर इन शिक्षकों को प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर का वेतनमान भी दिया जा रहा है. बस उन्हें केवल […]
पटना: राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में वरीय शिक्षकों के पदों की कृत्रिम कमी पैदा की गयी है. स्वीकृति पदों से अधिक संख्या में वरीय शिक्षक मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में पदस्थापित हैं. एसीपी व डीएसीपी के आधार पर इन शिक्षकों को प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर का वेतनमान भी दिया जा रहा है. बस उन्हें केवल वरीय पदों में प्रोन्नति नहीं दी गयी है. अगर सरकार इन्हें प्रोन्नति दे दे, तो उसके बजट पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शिक्षकों की कमी को लेकर बार-बार शिकायत की जाती है. हकीकत में यह स्थिति नहीं है.
09 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं राज्य में स्वीकृत पद
हकीकत
वर्तमान में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर के 30 पद रिक्त हैं. हकीकत है कि इन 30 पदों के विरुद्ध सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में योग्यता रखनेवाले नियमित 65 एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जिनको प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति दी जा सकती है.
इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर के 75 पद रिक्त हैं, जबकि वर्तमान में मेडिकल कॉलेजों में 128 असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जिन्हें एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में प्रोन्नति दी जा सकती है.
फंसा हुआ है प्रोन्नति का मामला
सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग के 12 अगस्त, 2014 के आदेश से प्रोन्नति पर रोक लगा दी गयी है. राज्य सरकार की मंशा है कि प्रोन्नति में भी आरक्षण का पालन किया जाये. वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत प्रोन्नति में आरक्षण पर रोक लगी हुई है. सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग अगर चिकित्सकों को प्रोन्नति देने की इच्छा रखती थी, तो अगस्त 2014 के पूर्व ऐसी डीपीसी की बैठक कर प्रोन्नति क्यों नहीं दी गयी, जबकि असिस्टेंट व एसोसिएट के पदों में छह वर्षो से अधिक समय से नियमित चिकित्सक कार्यरत हैं. इसके अलावा सरकार रोस्टर क्लीयरेंस करा कर आरक्षित पदों के अलावा शेष पदों पर प्रोन्नति दे सकती है. सरकार इसका पालन नहीं करेगी, तो उसे मेडिकल कॉलेजों को संविदा पर नियुक्ति का बार-बार सहारा लेना पड़ेगा.
क्या है प्रावधान
सरकार द्वारा 2008 में तैयार की गयी सीनियर रेजिडेंट/ट्यूटर तथा बिहार चिकित्सा शिक्षा सेवा भरती, नियुक्त एवं प्रोन्नति नियमावली में शिक्षकों की प्रोन्नति वित्तीय लाभ देने का प्रावधान है. नियमावली में प्रावधान है कि सहायक प्राध्यापक पर छह वर्षो की नियमित सेवा पूरा करने के बाद उनको प्रोन्नति के साथ वित्तीय प्रोग्रेशन के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार योग्य माना जायेगा. इसी प्रकार एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर छह वर्षो की नियमित सेवा के बाद शिक्षक प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन व वित्तीय प्रोग्रेशन के योग्य होंगे.