शिक्षकों के पक्ष में मुख्यमंत्री की बड़ी पहल, नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने के लिए बनी कमेटी
पटना: नियोजित शिक्षकों को वेतनमान पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक कमेटी का गठन कर दिया है. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी में विकास आयुक्त एस. के. नेगी, वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर प्रसाद, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन और प्रधान अपर […]
पटना: नियोजित शिक्षकों को वेतनमान पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक कमेटी का गठन कर दिया है. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी में विकास आयुक्त एस. के. नेगी, वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर प्रसाद, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन और प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर सदस्य के रूप में होंगे. यह कमेटी एक महीने के अंदर अपनी अनुशंसा सरकार को देगी. कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सरकार फैसला लेगी. दूसरी ओर शिक्षक संगठनों ने अपना आंदोलन जारी रखने का एलान किया.
गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई शिक्षा विभाग की बैठक में नियोजित शिक्षकों को वेतनमान के मामले पर कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया. नियोजित शिक्षक वेतनमान की मांग को लेकर नौ अप्रैल से हड़ताल पर हैं, जिससे स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई ठप है. बच्चों को मध्याह्न् भोजन भी नहीं मिल रहा है. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संज्ञान लेते हुए गुरुवार की देर शाम अपने आवास पर शिक्षा विभाग की बैठक बुलायी थी. शिक्षा विभाग की ओर से मुख्यमंत्री को नियोजित शिक्षकों की हड़ताल और इसकी वजह से बाधित पठन-पाठन की जिलावार रिपोर्ट दी गयी.
रिपोर्ट देखने के बाद मुख्यमंत्री ने नियोजित शिक्षकों के वेतनमान पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की और एक महीने के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. बैठक में वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री पी के शाही, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त एस के नेगी, प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर, वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर प्रसाद, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डी एस गंगवार, सीएम के सचिव चंचल कुमार व अतीश चंद्रा मौजूद थे.
राज्य के 73 हजार 500 प्राथमिक स्कूलों में करीब चार लाख और पांच हजार हाइ स्कूल प्लस टू में करीब 40 हजार नियोजित शिक्षक हैं. 2003 से पंचायत शिक्षा मित्र के रूप में अनुबंध पर शिक्षक बहाल किये गये थे. 2006 में नियुक्ति नियमावली बनी, जिसके आधार पर सिर्फ सर्टिफिकेट के आधार पर नियोजन हुआ. फिर दक्षता परीक्षा का आयोजन होने लगा. नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति अलग-अलग चरणों में हुई है. फिलहाल उन्हें नौ हजार रुपये से 12 हजार रुपये (कोटि के मुताबिक) का मासिक मानदेय मिलता है.
तीन बार बढ़ा मानदेय
2006 में मानदेय चार हजार व पांच हजार रुपये था. एक अप्रैल, 2010 से एक हजार की वृद्धि हुई. एक अगस्त, 2010 से एक हजार और 2013 में तीन हजार रुपये की बढ़ोतरी हुई. मांझी सरकार ने वेतनमान के लिए दूसरे राज्यों से रिपोर्ट मंगायी थी.
ये संगठन थे हड़ताल पर : बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के आह्वान पर तालाबंदी, बिहार नियोजित शिक्षक न्याय मोरचा, बिहार राज्य टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ, बिहार राज्य टीइटी-एसटीइटी अभ्यर्थी संघ, बिहार परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ का समर्थन.
फिलहाल शिक्षकों के वेतन पर 69 अरब का खर्च
सभी तरह के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों के वेतन पर सालाना करीब 69 अरब दो करोड़ रुपये खर्च होते हैं. नियोजित शिक्षकों के वेतन पर 12.74 अरब रुपये खर्च होते हैं, जबकि स्थायी शिक्षकों के वेतन पर सालाना खर्च 56.28 अरब रुपये खर्च होते हैं. नियोजित शिक्षकों के वेतन का एक हिस्सा सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार देती है.
कितना पाते हैं नियोजित शिक्षक
अनट्रेंड पंचायत शिक्षक – 9,000 रुपये
ट्रेंड पंचायत शिक्षक – 10,000 रुपये
अनट्रेंड प्रखंड शिक्षक- 10,500 रुपये
ट्रेंड प्रखंड शिक्षक- 11,000 रुपये
हाइ स्कूल में अनट्रेंड शिक्षक – 10,500 रुपये
हाइ स्कूल में ट्रेंड शिक्षक – 11,000 रुपये
प्लस टू स्कूल के अनट्रेंड शिक्षक – 11,500 रुपये
प्लस टू स्कूल के ट्रेंड शिक्षक – 12,000 रुपये
हमें कमेटी नहीं वेतनमान चाहिए. नियोजित शिक्षक आंदोलन वापस नहीं लेंगे. राज्य सरकार वेतनमान देने की घोषणा करे और कैबिनेट से इसे मंजूर कराये. जब तक वेतनमान लागू नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा. स्कूलों में तालाबंदी जारी रहेगी और पठन-पाठन ठप रहेगा. इससे पहले भी कई कमेटियां बनीं, कई कमेटी तो दूसरे राज्यों में मिलने वाले वेतनमान का अध्ययन करके भी आयी, लेकिन उसकी अनुशंसाओं पर आज तक काम नहीं हुआ.
केशव कुमार, महासचिव, बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ
हमने आंदोलन वेतनमान के लिए कमेटी बनाने के लिए नहीं, वेतनमान देने के लिए की है. सरकार कमेटी का गठन कर वेतनमान का मामला ठंडे बस्ते में डालना चाहती है. वेतनमान की दिशा को बदलने के लिए सरकार कमेटी गठन की बात कर रही है. इससे पहले भी मुचकुंद दूबे समेत अन्य कमेटियों ने अपनी रिपोर्ट दी, लेकिन उसका हश्र क्या हुआ सब जानते हैं.
मरकडेय पाठक, अध्यक्ष, बिहार राज्य टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ
नियोजित शिक्षकों के वेतनमान के लिए सरकार ने कमेटी का गठन किया है तो कई नियोजित संगठनों को मिला कर बने महासंघ की बैठक आयोजित की जायेगी. इसमें बातचीत होगी कि आगे क्या करना है. अगर सभी संगठन आंदोलन जारी रखने की बात करेंगे तो आंदोलन जारी रहेगा.
शिवेंद्र पाठक, प्रदेश संयोजक, बिहार नियोजित शिक्षक न्याय मोरचा
ये हैं तीन विकल्प
सभी 4.40 लाख नियोजित शिक्षकों को वेतनमान
एक परीक्षा का आयोजन, जिसमें सफल शिक्षकों को वेतनमान
नियोजितों के लिए अलग वेतनमान, जो स्थायी से कम हो
वेतनमान पर कितना खर्च?
सरकार का आकलन
20 हजार करोड़ का सालाना बोझ बढ़ेगा. शिक्षा विभाग का कुल बजट ही करीब 22 हजार करोड़ रुपये का है.
नियोजित शिक्षकों का आकलन
30 हजार रुपये मासिक की गणना के आधार पर 14 हजार पांच सौ करोड़ रुपये का खर्च. इसमें 35 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार का यानी साढ़े पांच हजार करोड़ सालाना.
दूसरे राज्यों में व्यवस्था
ओडिशा : छह साल की सेवा वाले शिक्षा सहायकों को स्थायी शिक्षक.
छत्तीसगढ़ : शिक्षकों के तीन संवर्ग. वेतनमान के साथ पे ग्रेड
हरियाणा : तीन कोटियां, वेतन 19 से 26 हजार के बीच
यूपी : शिक्षा मित्रों को 3500 रुपये का मानदेय मिलता था. 2010 के बाद नियुक्ति बंद है. सहायक शिक्षकों को 9300 रुपये का ग्रेड पे.