टूटी बेंच व खुली नालियां पहचान
गांधी मैदान सौंदर्यीकरण. अधिकारियों के निर्देशों का समय पर नहीं होता पालन पटना: गांधी मैदान पर इन दिनों असहयोग के प्रयोग चल रहे हैं. मैदान के सौंदर्यीकरण और बेहतरी के लिए किये जानेवाले काम ना तो समय से हो पा रहे हैं, ना ही टाइम लाइन के अनुरूप लगातार काम ही चल पा रहा है. […]
गांधी मैदान सौंदर्यीकरण. अधिकारियों के निर्देशों का समय पर नहीं होता पालन
पटना: गांधी मैदान पर इन दिनों असहयोग के प्रयोग चल रहे हैं. मैदान के सौंदर्यीकरण और बेहतरी के लिए किये जानेवाले काम ना तो समय से हो पा रहे हैं, ना ही टाइम लाइन के अनुरूप लगातार काम ही चल पा रहा है. सभी प्राथमिकता वाले काम अटक-अटक कर तो हो ही रहे हैं और वरीय अधिकारियों ने जो निर्देश जारी किये उसका भी पालन नहीं हो रहा है. योजनाओं की प्रगति का हाल देख कर कहा जा सकता है कि मैदान को बेहतर देखने के लिए पटनावासियों को और भी इंतजार करना पड़ेगा.
गांधी मैदान की बेहतरी के लिए 11 अक्तूबर और 5 दिसंबर, 2014 को कमिश्नर की अध्यक्षतावाली बैठक में जारी किये गये निर्देशों का पालन नहीं किया गया है. इसे देखनेवाला भी कोई नहीं है.
खुली नालियों में गिरते रहते हैं लोग
गांधी मैदान हादसे के दौरान खुली नालियों में भी कई लोग गिरे थे. साथ ही आये दिन भी लोग इसमें गिर कर जख्मी होते रहते हैं. हादसे के बाद जब अधिकारियों ने मैदान का निरीक्षण किया था, तो कहा था कि जलनिकासी के लिए नालियों को दुरुस्त करने के बाद उसे ढकना बेहद जरूरी है ताकि लोग इसके शिकार नहीं बनें. टाइम लाइन भी तय की गयी कि मार्च तक सभी नालियों को ढ़क दिया जाये पर अभी भी खुली नालियां उन निर्देशों की हकीकत बयां कर रही है. विभाग के द्वारा एक कोने पर ढक्कन तो बनाये गये, लेकिन उसे अभी तक नालियों पर डालने की फुरसत नहीं है.
टूटी बेंच को हटा बननी थी नयी बेंच
दोनों बैठकों में जारी निर्देश के मुताबिक टूटी बेंचों को हटा कर नया बेंच बनाना था और इसके साथ ही जलनिकासी के लिए नालियों को दुरुस्त करना था. नालियों को पूरी तरह ढक कर मैदान को साफ सुथरा किया जाना था. भवन निर्माण प्रमंडल को इसकी जिम्मेदारी दी गयी थी. इसके बावजूद इस दिशा में अभी तक कोई कार्य नहीं हो सका. अभी भी कई बेंच टूटे पड़े हुए हैं, जिन्हें ठीक किये जाने की आवश्यकता है. यदि बेंच बनेंगे, तो लोगों को सहूलियत होगी और मैदान भी सुंदर लगेगा.