तीन करोड़ का बजट, फिर भी नहीं मिलेगा प्रमाणपत्र

अधिकतर स्कूलों को सीबीएसइ से नहीं मिली है मान्यता कई बड़े स्कूल भरते है जुर्माना, नहीं लेते नामांकन पटना : हर साल शिक्षा के अधिकार के लिए गवर्नमेंट करोड़ों रुपये खर्च करती है. आरटीइ के तहत नामांकित बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए विभाग की ओर से हर महीने तीन सौ रुपये भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2015 8:01 AM
अधिकतर स्कूलों को सीबीएसइ से नहीं मिली है मान्यता
कई बड़े स्कूल भरते है जुर्माना, नहीं लेते नामांकन
पटना : हर साल शिक्षा के अधिकार के लिए गवर्नमेंट करोड़ों रुपये खर्च करती है. आरटीइ के तहत नामांकित बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए विभाग की ओर से हर महीने तीन सौ रुपये भी छात्र की संख्या के अनुसार स्कूल के एकाउंट में भेजे जा रहे है.
प्राइवेट स्कूल में बच्चे एडमिशन तो ले रहे है, लेकिन ये सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड से 10वीं या मैट्रिक नहीं कर पायेंगे और इन बोर्ड के सर्टिफिकेट भी इन बच्चों को नहीं मिल पायेगी. क्योंकि अभी पटना जिले के जितने स्कूल आरटीइ के तहत बच्चों का नामांकन लिया है. उसमें अधिकांश स्कूल सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है. ऐसे में ये बच्चे बस आठवीं तक ही आरटीइ के तहत प्राइवेट स्कूल में पढ़ पायेंगे. आठवीं के बाद इन्हें सरकारी स्कूल में ही आना होगा.
61 स्कूलों में 35 को नहीं है सीबीएसइ की मान्यता : पटना शहरी क्षेत्र के लगभग 61 स्कूलों में आरटीइ के तहत नामांकन लिया जा रहा है. हर साल यहीं स्थिति रहती है. इन स्कूलों में सीबीएसइ या आइसीएसइ बोर्ड की पढ़ाई होती है. इसमें लगभग 35 स्कूलों को सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड की मान्यता नहीं मिली हुई है.
ऐसे में नौवीं क्लास के रजिस्ट्रेशन के समय इन छात्रों को स्कूल से निकाल दिया जायेगा. आइसीएसइ बोर्ड के एक स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार मान्यता नहीं होने के कारण स्कूल के छात्र किसी दूसरे स्कूल से नौवीं में रजिस्ट्रेशन करवाते है. ऐसे में आरटीइ के तहत नामांकन लिये छात्रों को स्कूल बाहर कर देगा. वहीं सीबीएसइ के एक स्कूल ने बताया कि आठवीं तक ही बच्चों का नामांकन लिया गया है.
शिक्षा के अधिकार के तहत पहले 3070 रुपये दिये जाते थे. साल भर के लिए दिये जानेवाले इनपैसे में बच्चों का एडमिशन व महीने का ट्यूशन चार्ज होता था. लेकिन, स्कूलों की ओर से शिकायत करने के बाद 2011-12 सत्र से इसे बढ़ा कर 4142 रुपया कर दिया गया. फिर 2013-14 में इसे बढ़ा कर 4300 रुपया किया गया है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हर महीने बच्चों की संख्या के आधार पर स्कूलों को पैसे भेजे जाते है.
जिन स्कूलों को सीबीएसइ की मान्यता नहीं है. वो तमाम स्कूल आठवीं के बाद छूट जायेंगे. सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड से वो रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पायेंगे. फिर उन्हें बिहार बोर्ड के स्कूलों से ही मैट्रिक की परीक्षा देनी होगी. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिन स्कूलों को सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड की मान्यता नहीं है, लेकिन अगर वो बिहार राज्य से निबंधित है, तो ऐसे छात्र बिहार बोर्ड के स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा दे सकते है. लेकिन, प्राइवेट स्कूलों में आरटीइ के तहत पढ़ रहे बच्चे सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा नहीं दे पायेंगे.
नामांकन से अधिक जुर्माना देना पसंद करते हैं स्कूल
मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को लागू तो कर दिया गया. लेकिन, अभी भी यह स्कूलों तक पहुंच नहीं पाया है. पटना शहर में कई बड़े स्कूल पिछले कुछ सालों में खुले लेकिन इसमें कोई भी स्कूल आरटीइ के तहत नामांकन नहीं लेता है.
दिल्ली पब्लिक स्कूल, बिड़ला स्कूल, त्रिभुवन स्कूल आदि जितने भी स्कूल है, वहां पर अभी तक एक भी नामांकन आरटीइ के तहत नहीं लिया गया है. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश वहीं स्कूल आरटीइ के तहत नामांकन ले रहे है, जो शहर के छोटे व बिना मान्यता के चलनेवाले स्कूल है.
बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त स्कूलों में ही आरटीइ के तहत नामांकन हो पाता है. 2014 सत्र के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुका है. बड़े स्कूल अभी भी नामांकन नहीं लेते है. सरकार की ओर से करोड़ों रुपये शिक्षा के अधिकार के तहत खर्च किये जा रहे है. राम सागर, कार्यक्रम पदाधिकारी, सर्व शिक्षा अभियान

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