ग्रामीण इलाकों में 10.4 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 7.1 फीसदी सवर्ण गरीब

पटना: बिहार में ऊंची जातियों की सच्चई यह है कि उसका एक हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहा है. यह हिस्सा हिंदुओं और मुसलमानों की ऊंची बिरादरी में शामिल है. इसे जीवन स्तर सुधारने के लिए गरीबों के कल्याण के लिए बनी सरकारी योजनाओं में हिस्सेदारी की दरकार रहती है. सवर्ण आयोग ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2015 6:39 AM
पटना: बिहार में ऊंची जातियों की सच्चई यह है कि उसका एक हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहा है. यह हिस्सा हिंदुओं और मुसलमानों की ऊंची बिरादरी में शामिल है. इसे जीवन स्तर सुधारने के लिए गरीबों के कल्याण के लिए बनी सरकारी योजनाओं में हिस्सेदारी की दरकार रहती है.
सवर्ण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में 10.4 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 7.1 फीसदी ऊंची जाति के हिंदू और मुसलमान गरीब हैं. ग्रामीण इलाकों में ऊंची जाति के हिंदुओं में गरीबी का प्रतिशत 10.3 है और ऊंची जाति के मुसलमानों में 10.7 फीसदी गरीब की श्रेणी में आते हैं. राज्य के ग्रामीण इलाकों में दोनों समुदायों की ऊंची जातियों में गरीबी का प्रतिशत लगभग बराबर है.
ग्रामीण इलाकों में ऊंची जाति के हिंदुओं में सबसे ज्यादा गरीब ब्राrाण हैं. ब्राrाणों की 13.2 फीसदी आबादी गरीब है. वहीं मुसलमानों में पठान सबसे गरीब हैं. ग्रामीण क्षेत्र में पठानों की 12.5 फीसदी जनसंख्या गरीब है. ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्र में ऊंची जाति के हिंदुओं में गरीबी कम है, लेकिन ऊंची जाति के मुसलमानों की स्थिति करीब-करीब ग्रामीण इलाके में एक जैसी ही है. शहरी इलाके में 5.4 फीसदी हिंदू गरीब हैं वहीं मुसलमानों में ऐसे लोगों की तादाद 10.4 फीसदी है.
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में लगभग 45.4 फीसदी ऊंची जाति के हिंदू और 61.4 फीसदी मुसलमान तनख्वाह या मजदूरी की आय से अपना पेट भरते हैं. इसमें नियमित और अनियमित दोनों स्त्रोत शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंची जाति के मुसलमानों की स्थिति ज्यादा खराब है क्योंकि उनकी आय का बहुत बड़ा हिस्सा अनियमित है.
आय का स्रोत
जहां तक आय के स्नेत का सवाल है, उसमें दोनों समुदाय की ऊंची जातियों में स्वरोजगार का हिस्सा बहुत कम है. यह सच्चई ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में एक समान है. ग्रामीण इलाकों में खेती भी आय का अच्छा स्नेत नहीं रहा, ,खासकर ऊंची जाति के हिंदुओं में भी जिनके पास परंपरागत रूप से जमीन ज्यादा है. ग्रामीण क्षेत्र में ऊंची जाति के हिंदुओं की आय का 22.7 फीसदी ही खेती से आता है. ऊंची जाति के मुसलमानों में इस तरह की आय मात्र 5.4 फीसदी है.

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