अगस्त से बांझपन की शिकार महिलाओं की भरेगी गोद

पटना : आइजीआइएमएस स्त्री विभाग में अगस्त से टेस्ट ट्यूब बेबी से बांझपन महिलाओं की गोद भरी जायेंगी. इसके लिए स्त्री विभाग में काम तेजी से शुरू हो गया है और इसके लिए बहुत कम खर्च संस्थान में देना पड़ेगा. हाल के दिनों में किये गये शोध के मुताबिक देखा गया है कि भाग-दौड़ व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2015 7:34 AM

पटना : आइजीआइएमएस स्त्री विभाग में अगस्त से टेस्ट ट्यूब बेबी से बांझपन महिलाओं की गोद भरी जायेंगी. इसके लिए स्त्री विभाग में काम तेजी से शुरू हो गया है और इसके लिए बहुत कम खर्च संस्थान में देना पड़ेगा. हाल के दिनों में किये गये शोध के मुताबिक देखा गया है कि भाग-दौड़ व कैरियर बनाने के जुनून ने समाज में बांझपन बढ़ा दिया है. इस कारण लाखों महिलाओं की गोद खाली रह जाती हैं और ये बातें समाज व परिवार से छुपाते हैं.

ऐसे में कई बार बच्चे की आस में महिलाएं झोला छाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ जाती हैं और लाखों खर्च के बाद भी कुछ नहीं मिल पाता है. इसके बाद जब नयी तकनीक आइवीएफ से इलाज कराते हैं, तो इसमें भी लाखों खर्च करना पड़ता है, जो सबों के लिए संभव नहीं है. इस कारण से आइजीआइएमएस में इस नयी तकनीक को जल्द शुरू करने के लिए काम चल रहा है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर वर्ष जितनी शादियां होती हैं, उनमें से 10 प्रतिशत महिलाएं बांझपन से ग्रस्त होती हैं.

क्या है टेस्ट ट्यूब बेबी : टेस्ट ट्यूब बेबी का अर्थ होता है आइवीएफ विधि से बच्चों का जन्म. इस प्रक्रिया में महिला के गर्भ में उसके पति का स्पर्म डाला जाता है. अगर किसी के पति का स्पर्म नहीं बनता है, तो किसी और का स्पर्म लिया जाता है. वहीं शुक्राणु और अंडाणु को निषेचित करा कर भ्रूण को उस महिला के गर्भ में डाल दिया जाता हैं. इस प्रकार से जन्मे बच्चे का रंग, लंबाई, बालों का रंग और प्रकृति आनुवंशिक गुण आदि सभी जेनेरिक मां-बाप के होते हैं. टेस्ट टयूब बेबी में पूरा खर्च लगभग दो लाख या उससे अधिक भी. आइजीआइएमएस में कम कीमत में होगा इलाज.

बहुत-सी परिस्थिति में महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. ऐसी स्थिति में महिलाओं को आइवीएफ विधि से मां बनने का सुख प्राप्त होता है. इस तकनीक को अगस्त से शुरू हो जायेगा. इस दिशा में तेजी से काम होने लगा है.
– डॉ एसके शाही, एमएस, आइजीआइएमएस

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