14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गांव के 35% सवर्ण परिवारों पर कर्ज का बोझ

पटना: बिहार में ऊंची जाति के परिवार भी कर्ज के बोझ तले दबे हैं. ग्रामीण इलाकों में ऊंची जाति के 35.3 फीसदी हिंदू और 26.5 फीसदी मुसलमान परिवारों पर कर्ज है. वहीं शहरी इलाकों में ऐसे हिंदू परिवारों का प्रतिशत 24.9 और मुसलमान परिवारों का प्रतिशत 20.3 है. ऐसा माना जाता रहा है कि महाजनों […]

पटना: बिहार में ऊंची जाति के परिवार भी कर्ज के बोझ तले दबे हैं. ग्रामीण इलाकों में ऊंची जाति के 35.3 फीसदी हिंदू और 26.5 फीसदी मुसलमान परिवारों पर कर्ज है. वहीं शहरी इलाकों में ऐसे हिंदू परिवारों का प्रतिशत 24.9 और मुसलमान परिवारों का प्रतिशत 20.3 है.
ऐसा माना जाता रहा है कि महाजनों के चंगुल में सिर्फसमाज के कमजोर वर्ग के लोग ही फंसते हैं. लेकिन, सवर्ण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिंदू और मुसलमानों की ऊंची जातियां भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए महाजनों के द्वार खटखटाती हैं. रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में ऊंची जाति के हिंदू जितना कर्ज लेते हैं, उसमें 14.4 फीसदी हिस्सा महाजनों का है. ऊंची जाति के मुसलिमों इसका प्रतिशत 29.5 है. शहरी इलाकों में ऊंची जाति के ऐसे लोग जो महाजनों से कर्ज लेते है, उनकी संख्या बहुत कम है, लेकिन नगण्य नहीं.
ग्रामीण इलाकों में कम आय की वजह से ऊंची जाति के हिंदू और मुसलमानों का एक बड़ा तबका अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने लिए कर्ज लेता है. सवर्ण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार ऊंची जाति के 16.2 फीसदी हिंदू शादी और श्रद्ध जैसे आयोजन के लिए भी कर्ज लेते हैं. वहीं 15.6 फीसदी को इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है. ऊंची जाति के मुसलमानों में ऐसे काम के लिए कर्ज लेने वालों का प्रतिशत क्र मश: 20.3 और 27.1 है.
गांवों में कर्ज की जरूरत ज्यादा : शहरी इलाकों में शादी/श्रद्ध जैसे सामाजिक काम के लिए कर्ज लेने वाने हिंदुओं का प्रतिशत 14.8 है. वहीं ऊंची जाति के मुसलमानों में ऐसे काम के लिए 13.9 फीसदी लोग कर्ज लेते हैं. शहरी इलाकों में इलाज के लिए कर्ज लेने वाले हिंदुओं की संख्या न के बराबर है, लेकिन 16.7 फीसदी मुसलमान अपनी चिकित्सकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेते हैं. मुसलमानों में सामाजिक आयोजन और चिकित्सा के लिए ज्यादा कर्ज लेना उनकी कम आय को दर्शाता है.
शहरों में शिक्षा लोन का बढ़ा चलन : शहरी इलाकों में ऊंची जाति के हिंदू और मुसलमान अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं. यह दोनों समुदायों की ऊंची जातियों में शिक्षा के लिए बढ़ते लोन के चलन से दिखता है.
शहरों में 20.5 फीसदी हिंदू परिवारों और 12.0 फीसदी अगड़ी जाति के मुसलमानों परिवारों ने शिक्षा के लिए लोन लिया. हिंदुओं में सबसे ज्यादा कायस्थ (26.78) और मुसलमानों में सैयद (17.48) ने शिक्षा के लिए लोन लिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें