विशेष योजना: आर्थिक अपराध इकाई ने तैयार की खास रिपोर्ट, ड्रग्स तस्करी पर कसेगा शिकंजा

पटना: बिहार तेजी से ड्रग्स का ट्रैफिक सेंटर बनता जा रहा है. पिछले कुछ सालों में ड्रग्स तस्करी से जुड़े बड़े मामलों के उजागर होने की संख्या में बढ़ोतरी होने से पुलिस भी इस बात को मानने लगी है. यह बात भी सामने आयी है कि ड्रग्स तस्करी वाले रास्ते से ही अपराधी और अवैध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2015 7:05 AM
पटना: बिहार तेजी से ड्रग्स का ट्रैफिक सेंटर बनता जा रहा है. पिछले कुछ सालों में ड्रग्स तस्करी से जुड़े बड़े मामलों के उजागर होने की संख्या में बढ़ोतरी होने से पुलिस भी इस बात को मानने लगी है. यह बात भी सामने आयी है कि ड्रग्स तस्करी वाले रास्ते से ही अपराधी और अवैध हथियारों का रूट भी बेहद सक्रिय होता जा रहा है. इसके मद्देनजर आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है.

इसमें पांच प्रमुख बिंदुओं पर फोकस किया गया है, जिसके आधार पर राज्य में ड्रग्स के कारोबार पर शिकंजा कसने की तैयारी है. इस कार्ययोजना पर अंतिम सहमति डीजीपी से मिलनी बची हुई है. एप्रूवल मिलते ही इस पर पुलिस महकमा अमल शुरू कर देगा.

2000 में हुआ था ऐसा सर्वे
राज्य में अभी तक ड्रग्स को लेकर कोई व्यापक सव्रे नहीं हुआ है. वर्ष 2000 में एक सव्रे कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट 2004 में आयी थी. परंतु यह बहुत कारगर साबित नहीं हुआ. इसके बाद समाज कल्याण विभाग ने राज्यभर में 12 काउंसेलिंग सेंटर भी स्थापित किये थे, लेकिन वर्तमान में एक-दो को छोड़ कर अन्य सभी की हालत काफी खराब है. वर्ष 2008-09 में एक एनजीओ ने भी कुछ क्षेत्रों में सव्रे किया था. इसके अनुसार, ड्रग्स का उपयोग करने वाले 70 फीसदी लोग प्राथमिक तक ही पढ़े-लिखे होते हैं. 39 फीसदी लोग अप्रशिक्षित मजदूर वर्ग, 15 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट वर्क्‍स और 13 फीसदी प्रशिक्षित श्रमिक होते हैं.
यहां से आते हैं ड्रग्स
राज्य में नेपाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों से चरस और अन्य ड्रग्स आते हैं.
छत्तीसगढ़ से मुख्य रूप से गांजा आता है.
कई उग्रवाद प्रभावित इलाकों से भी गांजा आता है.
यूपी और दिल्ली से हेरोइन आती है.

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