राजद सांसद पप्पू यादव छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित, ये है अब तक की पूरी कहानी…
पटना / नयी दिल्ली : राजद ने सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को पार्टी से अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. राजद का शीर्ष नेतृत्व पप्पू यादव के लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने को लेकर नाराज चल रहा था. इस संबंध में पार्टी ने उनसे जवाब […]
पटना / नयी दिल्ली : राजद ने सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को पार्टी से अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. राजद का शीर्ष नेतृत्व पप्पू यादव के लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने को लेकर नाराज चल रहा था. इस संबंध में पार्टी ने उनसे जवाब भी मांगा था लेकिन पप्पू यादव की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर पार्टी ने गुरुवार को उन्हें राजद से निष्कासित करने का फैसला सुनाया है.
इससे पहले राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने प्रदेश नेतृत्व को निर्देश दिया है कि पार्टी विरोधी आचरण करने वाले बागी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए. सांसद पप्पू यादव पर लंबे समय से पार्टी विरोधी बयानबाजी व पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. पार्टी विरोधी बयान एवं उत्तराधिकारी के सवाल को लेकर सांसद पप्पू यादव पहले से ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के नजरों में थे. मालूम हो कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की जमकर तारीफ की. फिर, जदयू व राजद के महाविलय पर सवाल उठाने लगे. इन सभी को लेकर पार्टी की ओर से उन्हें कई बार चेतावनी दी गई थी.
राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव रामदेव भंडारी ने बताया कि पप्पू यादव की पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर उन्हें छह वर्षो के लिए राजद से निष्कासित कर दिया गया है. पप्पू यादव ने पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को मधेपुरा संसदीय क्षेत्र से हराया था. पप्पू यादव को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण बीते 18 अप्रैल को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उन्हें 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया था. भंडारी ने कहा कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद के नेतृत्व में पार्टी की कोर कमेटी ने पप्पू द्वारा भेजे गए जवाब को अपर्याप्त माना जिसके बाद उक्त निर्णय लिया गया.
पांचवी बार सांसद चुने गए पप्पू द्वारा हाल के दिनों में लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी का मुद्दा उठाए जाने तथा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थन में नीतीश नीत जदयू सरकार, जिसका राजद समर्थन कर रही है, का विरोध करने के कारण आपस में विलय की तैयारी कर रहे राजद व जदयू के समक्ष मुश्किलें खड़ी हो गयी थीं. भंडारी द्वारा पप्पू को जारी कारण बताओ नोटिस गत 23 अप्रैल को मीडिया में जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि गत कुछ दिनों से उनका आचरण दल द्वारा घोषित नीतियों, रणनीतियों तथा निर्देशों के विरोध में रहा है, यहां तक की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विरोध में वक्तव्य देने से भी वह चूक नहीं रहे हैं. भंडारी ने पप्पू को लिखा था कि उनके इस आचरण से दल विरोधी संदेशों की गंध आ रही है जिसके कुछ बिन्दुओं पर दल ने गंभीरता से विचार किया है.
राजद से छह वर्ष के लिए निष्कासित किये गए पप्पू यादव ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए कहा कि पुत्र मोह में लालू ने पार्टी के एक बहादुर सिपाही की बलि चढाई है. पप्पू यादव ने सवाल किया कि क्या गरीब, दलितों, वंचित वर्ग के लोगों, नौजवानों की आवाज उठाना, जीतन राम मांझी जैसे दलित वर्ग से आने वाले नेता के लिए आवाज उठाना ही उनकी गलती है. उन्होंने कहा, क्या उनकी बलि सिर्फ इसलिए चढाई गई क्योंकि बिहार के दस करोड़ लोगों और नौजवानों ने उन्हें राजद की विचारधारा के वारिस के रुप में देखना शुरु कर दिया था. मधेपुरा से सांसद ने कहा कि वह लालू प्रसाद का सम्मान करते रहे हैं, लेकिन पुत्र और परिवार के लिए एक संघर्षशील साथी और पार्टी के बहादुर सिपाही को बलि का बकरा बनाया गया है.
पप्पू यादव ने दावा किया कि राजद के बारह विधायक जदयू में पाला बदलने को तैयार थे, राज्यसभा चुनाव में तीन विधायकों ने क्रासवोटिंग की लेकिन इनमें से किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जबकि सड़क से संसद तक गरीब, दलितों, वंचित वर्ग के लोगों, नौजवानों की आवाज उठाने वाले मुझ जैसे कार्यकर्ता की बलि ली गई.
राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव रामदेव भंडारी ने मधेपुरा से अपने पार्टी सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को गत 18 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा था कि सांप्रदायिक शक्तियों से बिहार को बचाने के उद्देश्य से राजद ने नीतीश कुमार की सरकार का सदन में समर्थन करने का फैसला किया था, लेकिन उन्होंने दल के निर्णय के विरोध में राजद विधायकों से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का समर्थन करने की अपील की, यहां तक कि प्रलोभन देने का कार्य भी किया जो पार्टी विरोधी कदम था.
भंडारी ने पप्पू को लिखे पत्र में कहा था कि राजद के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद उन्होंने दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के फोटो का इस्तेमाल बिना अनुमति के अपने पौकेट संगठन युवा शक्ति के कार्यक्रमों में बैनर एवं पोस्टर के माध्यम से किया है, जो पार्टी विरोधी कदम माना गया है. मालूम हो कि राजद का युवा शक्ति जैसे पौकेट संगठन से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने पप्पू यादव को लिखा था कि गत कुछ महीनों से लगातार वे पार्टी विरोधी वक्तव्य मीडिया के माध्यम से देते आ रहे हैं यहां तक कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशों का उल्लंघन कर विरोध में वक्तव्य समाचार माध्यमों से प्रसारित करते रहे हैं जो सरासर दल विरोधी आचरण हैं.
भंडारी ने पप्पू को लिखा है कि इसलिए राजद ने उनके उपयरुक्त आचरणों को गंभीरता से संज्ञाण में लिया है, ऐसे में इसे दल विरोधी आचरण मानते हुए क्यों नहीं उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाये. उन्होंने इस संबंध में 15 दिनों के भीतर उन्हें अपना जवाब पटना स्थित राजद के प्रदेश मुख्यालय के पता पर देने को कहा था.
उधर, राजद से बाहर किये जाने पर पप्पू यादव ने आरोप लगाया है कि पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उन्हें बलि का बकरा बनाया है. पप्पू यादव ने बताया कि लालू यादव अपने आलोचकों और स्वाभिमान वाले व्यक्तियों यथा रंजन यादव, रामकृपाल यादव और अब उन्हंे बर्दाशत नहीं कर सकते. उन्हें केवल चटुकारों और बालू माफियाओं से प्रेम है. उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी जीतन राम मांझी के पक्ष में बयान दिया था, ऐसे में सिर्फ उन्हें पार्टी से क्यों निकाला गया है.
पप्पू ने आरोप लगाया, ऐसा लगता है लालू प्रसाद ने सामाजिक न्याय की विचारधारा को तिलांजलि दे दी है और सिर्फ परिवार हित पर ध्यान दे रहे हैं. इसी कारण उनके जैसे व्यक्ति तिरस्कृत कर दिए गए. मांझी के साथ जाने के बारे में पूछने पर पप्पू ने कहा कि आगामी नौ मई को दरभंगा तथा ग्यारह मई को उनके अपने संसदीय क्षेत्र मधेपुरा में रैली है. वहीं जनता मेरे भाग्य का फैसला करेगी. चर्चा है कि मांझी नई पार्टी बनाने वाले हैं. मांझी द्वारा राजद से यादव के निष्कासन पर दुख व्यक्त करने और अपना दरवाजा उनके लिए खुला होने की बात कहने के संबंध में जब पप्पू यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह जीतनराम मांझी जी की भावनाओं का अदार करते हैं, लेकिन उनके भाग्य का फैसला जनता करेगी.