अफसरों ने डकारे एक लाख 90 हजार मीटरिक टन धान

इस मामले को लेकर कुछ लोग हाइकोर्ट में गये थे. इधर सरकार ने इसकी जांच करा कर दोषी मिलरों व अफसरों पर कार्रवाई शुरू कर दी है. ऐसे मामले में पहली बार संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है पटना : धान की खरीद राज्य सरकार के लिए ही सिरदर्द बन गयी. धान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2015 7:50 AM
इस मामले को लेकर कुछ लोग हाइकोर्ट में गये थे. इधर सरकार ने इसकी जांच करा कर दोषी मिलरों व अफसरों पर कार्रवाई शुरू कर दी है. ऐसे मामले में पहली बार संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है
पटना : धान की खरीद राज्य सरकार के लिए ही सिरदर्द बन गयी. धान की खरीद से किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तो मिल गया, पर राज्य सरकार की धान खरीद की एजेंसी राज्य खाद्य निगम कंगाली के कगार पर पहुंच गया. निगम को कंगाल बनाने में सिर्फ मिलर ही नहीं, बल्कि राज्य सरकार के 384 कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं. इन पदाधिकारियों ने सरकार के एक लाख 90 हजार मीटरिक टन से अधिक का धान गबन किया है.
मामले की जांच के दौरान चौकानेवाली जानकारी मिलने के बाद जिलों में ऐसे कर्मियों और पदाधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हुई. सिर्फ 2011-12 में गबन के आरोपित पदाधिकारियों की संख्या लगभग 70 है. अन्य सत्रों में हुई खरीद में गड़बड़ी के आरोपित पदाधिकारियों के नाम शामिल किया जाये, तो इनकी संख्या सवा सौ से भी अधिक होगी. राज्य खाद्य निगम से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक 212 कर्मियों और पदाधिकारियों पर वसूली के लिए नीलामवाद दायर किया गया है. ऐसे कई कर्मियों और पदाधिकारियों के विरुद्ध सुनवाई भी शुरू हो चुकी है.
177 कर्मियों और पदाधिकारियों पर प्रपत्र क का गठन किया गया है, जबकि 180 पर एफआइआर दर्ज की गयी है. निगम ने ऐसे एक दर्जन से अधिक कर्मियों और पदाधिकारियों को निलंबित कर चुका है.
न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद तेज हुई कार्रवाई में जब पता चला कि खरीदारी के बाद धान सरकार के गोदामों में जाने के बजाय बड़ी मात्र में मिलरों ने ही हड़प लिया है. इसमें बड़ी संख्या में राज्य सरकार के कर्मचारी से लेकर पदाधिकारी तक शामिल हैं. जांच में पता चला कि कई जगहों पर बिना धान लिये ही निगम के गोदाम में धान प्राप्ति दर्ज कर दिया गया.
खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग और राज्य खाद्य निगम की जांच में पता चला कि धान हड़पनेवालों में लगभग 450 कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं. इन कर्मियों और पदाधिकारियों ने सरकार कम लगभग 1.90 लाख मीटरिक टन धान का गबन कर लिया. गबन के आरोपित कर्मियों और पदाधिकारियों पर वसूली के बावजूद लगभग एक सौ करोड़ रुपये की वसूली बाकी है.
ऐसे कर्मियों से वसूली की कार्रवाई चल रही है. बड़ी संख्या में गबन करनेवाले कर्मियों और पदाधिकारियों पर एफआइआइआर दर्ज कराया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे पदाधिकारियों और कर्मियों से गबन किये धान के मूल्य की वसूली की जा रही है. यदि निर्धारित अवधि में गबन के धान के मूल्य वापस नहीं करते हैं तो उनको निलंबन और मुकदमा का सामना करना पड़ेगा.
उनकी नौकरी तो जायेगी ही साथ ही मुकदमा का सामना करना पड़ेगा. ऐसे गबन में शामिल कर्मचारी पदाधिकारी को सरकार किसी कीमत पर छोड़ने वाली नहीं है.
एके सिंह, एमडी, राज्य खाद्य निगम

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