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किसानों को खुदकुशी के लिए उकसा रही सरकार: नंद किशोर

संवाददाता, पटनाबिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता के लिए अनाप-शनाप फैसले कर रहे हैं. मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें किसानों को आत्महत्या करने से रोकने के कदम उठाने चाहिए. इसके बजाय आत्महत्या करनेवाले किसानों के परिवारों को चार लाख रुपये मुआवजा, एक लाख रुपये तक […]

संवाददाता, पटनाबिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता के लिए अनाप-शनाप फैसले कर रहे हैं. मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें किसानों को आत्महत्या करने से रोकने के कदम उठाने चाहिए. इसके बजाय आत्महत्या करनेवाले किसानों के परिवारों को चार लाख रुपये मुआवजा, एक लाख रुपये तक कर्ज वापसी और सरकारी योजनाओं में विशेष लाभ देने का एलान कर रहे हैं. यादव ने कहा कि मनेर में अगर किसान ने आत्महत्या की, तो इसके पीछे सरकार की किसान विरोधी नीति थी. इसी तरह, बिक्रम के किसान ने भी सरकारी अनदेखी से तंग आकर आत्मदाह की चेतावनी दी थी. बिक्रम का किसान दो माह से धान खरीद के भुगतान के लिए चक्कर काट रहा था. उसे मीडिया में खबर आने के बाद ही चेक क्यों दिया गया, पहले क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि खुद राज्य सरकार 12 मई तक मुआवजा वितरण के लिए 781 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है, लेकिन इसी तारीख तक सूबे के 38 जिलों में सिर्फ 292 करोड़ रुपये ही बंट सके हें. मुआवजा वितरण की प्रक्रिया मधेपुरा, लखीसराय, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण में बेहद सुस्त है. मुआवजा वितरण के लिए जिस आपदा प्रबंधन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है, वह विभाग पिछले वित्त वर्ष में आवंटित राशि का सबसे कम इस्तेमाल करनेवाले विभागों में से एक है. मुआवजा पानेवाले किसानों की सूची का हाल यह है कि कई जिलों में छोटे किसानों के नाम ही नदारद है. उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि किसानों को आत्महत्या करने पर मुआवजा देने के बदले सरकार आत्महत्या जैसे हालात बनाने से बाज आये.

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