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बिहार में सियासी हलचल तेज, भाजपा ने कहा- जीतनराम मांझी के साथ खुला है गंठबंधन का विकल्प

पटना/नयी दिल्ली: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी समीकरण तेजी से बदलने लगे हंै. राज्य विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों के बीच गंठबंधन की तसवीर स्पष्ट होने लगी है. इसी कड़ी में भाजपा ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी […]

पटना/नयी दिल्ली: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी समीकरण तेजी से बदलने लगे हंै. राज्य विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों के बीच गंठबंधन की तसवीर स्पष्ट होने लगी है. इसी कड़ी में भाजपा ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के साथ गंठबंधन का विकल्प खुला रखे जाने की बात कह कर राज्य में सियासी हलचल को तेज कर दिया है. भाजपा ने बुधवार को इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि गंठबंधन को लेकर जीतनराम मांझी की ओर से कोई प्रस्ताव अभी नहीं आया है लेकिन अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आयेगा तो पार्टी उसपर विचार करेगी.

भाजपा की ओर से आये इस बयान के बाद से बिहार के राजनीतिक गलियारों में गंठबंधन को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. एआइआर न्यूज के मुताबिक बीते बुधवार को नयी दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बिहार के सांसदों की बैठक के बाद पार्टी नेता एवं सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीतनराम मांझी की ओर से अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगर ऐसा प्रस्ताव आयेगा तो उस पर पार्टी की ओर से विचार किया जायेगा. उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए सारे विकल्प खुले हुए हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा सहयोगी दलों के साथ मिलकर 185 प्लस के लक्ष्य को हासिल करेगी.

ज्ञात हो कि जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने में देरी किये जाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा पर आरोप लगाया था. नीतीश कुमार ने कहा था कि जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद से पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन उन्होंने सारा खेल भाजपा के इशारे पर किया. जदयू से निकाले जाने के बाद जीतनराम मांझी ने कुछ दिनों पूर्व ही हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा नाम की एक नयी पार्टी का गठन किया है. हालांकि मांझी ने समय-समय पर किसी भी दल से गंठबंधन किये जाने से इनकार करते हुए, कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनके अच्छे काम को देखते हुए बिहार की जनता ने उन्हें अकेले चुनाव लड़ने की सलाह दी है और इसलिए उन्होंने निर्णय लिया है कि चुनाव अकेले लड़ेंगे.

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