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सुशील मोदी ने बिहार सरकार पर अपने खिलाफ मुकदमा करने की चुनौती दी

पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के बिना निविदा के ट्रांसफार्मर खरीद में हुए 37 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले को बिहार सरकार के खारिज करने तथा उनके खिलाफ मुकदमा किये जाने की धमकी पर उन्होंने गुरुवार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उसमें हिम्मत है तो उन पर मुकदमा करके […]

पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के बिना निविदा के ट्रांसफार्मर खरीद में हुए 37 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले को बिहार सरकार के खारिज करने तथा उनके खिलाफ मुकदमा किये जाने की धमकी पर उन्होंने गुरुवार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उसमें हिम्मत है तो उन पर मुकदमा करके दिखाये.

सुशील मोदी ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि बिना निविदा के ट्रांसफार्मर खरीद में हुए 37 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले को उजागर करने पर सरकार तिलमिला गई है और जांच का आदेश देने के बजाय सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में मुकदमा करने की धमकी दे रही है. सरकार को मेरी चुनौती है कि अगर उसमें हिम्मत है तो मुझ पर मुकदमा करके दिखाये.

उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2012 में निकाली गई निविदा के तीन साल बाद बिना निविदा से हुई ट्रांसफॉर्मर खरीद की तुलना कर भ्रमित करने का प्रयास नहीं करे बल्कि 15 दिनों के अंदर महालेखाकार से पूरी खरीद की जांच कराये और जांच पूर्ण होने तक सभी कामों पर रोक लगाई जायें. सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि जिले में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण के तहत संपूर्ण कार्यो के लिए वर्ष 2012 में टर्न के आधार पर निविदा निकाली गयी थी. तीस साल बाद जब ट्रांसफॉर्मर बदलने के लिए निविदा निकाली गई तो कोई कंपनी नहीं आयी. मगर सरकार ने वर्ष 2012 की निविदा से 8-10 सामग्री को अलग निकालकर मनमाने तरीके से पूर्व की दर पर ही आपूर्ति का आदेश दिया.

उन्होंने सवाल करते हुये कहा कि क्या सरकार को बिना निविदा के इतनी बडी राशि का काम आवंटित करने का अधिकार है. बिना निविदा के ट्रांसफॉर्मर और अन्य बिजली उपकरणों की खरीद का आदेश देकर सरकार ने जहां नियम एवं प्रक्रिया की धज्जिया उडाई हैं. वहीं, चुनावी लाभ लेने की जुगत भी लगायी है.

सुशील मोदी ने पूछा कि सरकार बताये कि एक ही सामग्री की दर में अलग-अलग जिलों में इतना अन्तर क्यों है. क्या ट्रांसफॉर्मर की आपूर्ति दर एक ही राज्य में अलग-अलग जिलों के लिए एक लाख 4 हजार रुपये से एक लाख 60 हजार रुपये तक हो सकती है. क्या एबी स्वीच की दर 1,662 से लेकर 58 हजार रुपये तक हो सकती है. जीआई स्ट्रक्चर की न्यूतम दर 71 हजार रुपये और अधिकतम एक लाख एक हजार तक हो सकती है. उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल चुनाव को ध्यान में रख कर जल्दीबाजी में नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार कर सरकार ने इस तरह का कार्योदेश दिया है. सरकार पारदर्शी तरीके से इस पूरे मामले की महालेखाकार से जांच कराये और तब तक सभी कामों पर रोक लगे.

भाजपा नेता ने गत 12 मई को आरोप लगाया था कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना के तहत प्रदेश के कुछ जिलों में ट्रांसफर्मर तथा अन्य बिजली उपकरण बदलने के लिए 96 करोड़ रुपये की निविदा जारी की गयी जिसमें 37 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. मालूम हो कि बिहार के उर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कल सुशील के आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि मोदी का गणित कमजोर है. कुछ जिलों में ट्रांसफर्मर बदलने को लेकर जारी की गयी निविदाओं का अवलोकन किये बिना उन्होंने राजनीतिक विद्वेष और दुर्भावना के कारण इस तरह का आरोप लगा दिया जिस पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य सरकार उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रही है, मंत्री ने उसका कोई जवाब नहीं देते हुये यह जरुर कहा कि अगर मोदी साक्ष्य के साथ आरोप लगाए तो राज्य सरकार को उसकी निगरानी विभाग से जांच कराने में कोई संकोच नहीं होगा.

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