प्राचार्य नियुक्ति घोटाले में दर्ज हो सकती है प्राथमिकी

वर्ष 2013 में मगध विवि में नियुक्त किये गये थे 12 प्राचार्य निगरानी विभाग ने अपनी जांच कर ली है पूरी, 19 को हाइकोर्ट में जमा होगी रिपोर्ट हाइकोर्ट ने जांच के दौरान दोषियों पर एफआइआर करने का दिया था आदेश पटना : मगध विश्वविद्यालय में 2013 में पूर्व कुलपति प्रो अरुण कुमार के कार्यकाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2015 7:18 AM
वर्ष 2013 में मगध विवि में नियुक्त किये गये थे 12 प्राचार्य
निगरानी विभाग ने अपनी जांच कर ली है पूरी, 19 को हाइकोर्ट में जमा होगी रिपोर्ट
हाइकोर्ट ने जांच के दौरान दोषियों पर एफआइआर करने का दिया था आदेश
पटना : मगध विश्वविद्यालय में 2013 में पूर्व कुलपति प्रो अरुण कुमार के कार्यकाल के दौरान 12 प्राचार्यो की गलत तरीके से नियुक्ति किये जाने का मामला सामने आया था. इस मामले की जांच हाइकोर्ट के आदेश पर करीब डेढ़ महीने पहले निगरानी को सौंपी गयी थी.
निगरानी ने अपनी जांच तकरीबन पूरी कर ली है और निर्धारित तिथि 19 मई को यह रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश कर दी जायेगी.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जांच रिपोर्ट के साथ ही निगरानी दोषियों पर एफआइआर भी दर्ज करा सकता है. इसके तहत निगरानी 12 प्राचार्यो की नियुक्ति घोटाले मामले में पूर्व कुलपति प्रो अरुण कुमार समेत तमाम दोषियों पर एफआइआर भी दर्ज कर सकती है.
इस रिपोर्ट में हकीकत क्या है, इसका खुलासा तो न्यायालय में रिपोर्ट पेश होने के बाद ही होगा, परंतु प्राप्त सूचना के आधार पर बीबी लाल कमेटी की तर्ज पर ही इस रिपोर्ट में मगध विवि के तत्कालीन कुलपति प्रो कुमार समेत अन्य सभी आरोपितों को दोषी पाया गया है. पूरे मामले की छानबीन निगरानी ने लगभग डेढ़ महीने के निर्धारित समय में पूरी कर ली है.
बीबी लाल की रिपोर्ट में भी ठहराये गये थे दोषी : गौरतलब है कि इससे पहले भी इस घोटाले की जांच के लिए बीबी लाल कमेटी गठित की गयी थी. इसकी रिपोर्ट नवंबर 2013 में राजभवन को सौंप दी गयी थी. इसमें मगध विवि के पूर्व रजिस्ट्रार डीके यादव, तत्कालीन मीटिंग ऑफिसर शमशुल इसलाम समेत अन्य तीन-चार पदाधिकारियों को दोषी ठहराया गया था. साथ ही गलत तरीके से नियुक्त हुए सभी 12 प्राचार्यो को भी दोषी ठहराया गया था.
इस रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल ने दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा मगध विवि को की थी. कुछ पर कार्रवाई की खानापूर्ति भी हुई. इसके बाद यह मामला हाइकोर्ट में चला गया. तब कोर्ट ने पूरे मामले की जांच फिर से निगरानी से करा कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 की शुरुआत में मगध विवि के तत्कालीन कुलपति प्रो अरुण कुमार को हटाने का आदेश जारी किया था. इसके बाद मार्च 2013 में तत्कालीन कुलपति प्रो कुमार ने बैक डेट से विभिन्न कॉलेजों के 12 शिक्षकों को प्राचार्य बनाने की अधिसूचना जारी कर दी.
इन्हें 60 दिनों में अपने महाविद्यालय से विरमित पत्र और अनापत्ति पत्र लेकर ज्वाइन करने को कहा गया, जबकि ज्वाइनिंग लेटर पर जनवरी 2013 की तारीख अंकित थी. इस कारण इनकी ज्वाइनिंग फंस गयी और ये ज्वाइन नहीं कर पाये. इसी बीच कुलपति भी पद से हट गये.
इस पूरे मामले की गड़बड़ी की शिकायत कुछ शिक्षकों ने शिक्षा विभाग (उच्च शिक्षा निदेशालय) से करते हुए जांच की मांग की. अप्रैल 2013 को विभागीय विशेष सचिव ने राज्यपाल सचिवालय को मामले की विस्तृत जांच के लिए पत्र लिखा. इसके मद्देनजर राज्यपाल ने अगस्त 2013 में सेवानिवृत्त आइएएस बीबी लाल की एक सदस्यीय कमेटी को पूरे मामले की जांच का जिम्मा सौंप दिया. इसकी रिपोर्ट कमेटी ने तीन महीने बाद ही राज्यपाल को सौंप दी.
प्राचार्य की गलत सूची में शामिल ये नाम
प्रवीण कुमार (बीएस कॉलेज, दानापुर), डॉ पूनम (कॉलेज ऑफ कॉमर्स, अर्थशास्त्र विभाग), वेद प्रकाश चतुव्रेदी (कॉलेज ऑफ कॉमर्स, अंग्रेजी विभाग), डीपी सिंह (प्रोवीसी, संस्कृत विवि), एसपी शाही (एएन कॉलेज), डॉ उपेन्द्र कुमार (जेएन कॉलेज, आरा), डॉ इंद्रजीत प्रसाद राय (कॉमर्स विभाग, राजेंद्र कॉलेज, छपरा), सुधीर कुमार मिश्र (रसायन शास्त्र, राजेंद्र कॉलेज, छपरा), रेखा कुमारी (मगध विवि की पटना शाखा में लायजनिंग ऑफिसर), डॉ शीला किशोरी (महिला कॉलेज, औरंगाबाद) और दरबीर सिंह (गुरु गोविंद सिंह कॉलेज, पटना सिटी)

Next Article

Exit mobile version