जीतनराम मांझी पर सबकी निगाहें, पर क्या दुविधा में हैं मांझी?

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य में गठबंधन को लेकर सियासत दिलचस्प हो गयी है. इसी कड़ी में एक ओर जहां जदयू, राजद, सपा समेत जनता परिवार के छह दलों के विलय पर बातचीत जारी है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा भी जदयू से अलग होने के बाद राज्य की सत्ता पर काबिज होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2015 1:49 PM

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य में गठबंधन को लेकर सियासत दिलचस्प हो गयी है. इसी कड़ी में एक ओर जहां जदयू, राजद, सपा समेत जनता परिवार के छह दलों के विलय पर बातचीत जारी है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा भी जदयू से अलग होने के बाद राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए नये सिरे से तैयारी में जुट गयी है. इन सबके बीच सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की गतिविधियों पर सबकी निगाहें टिकी है. जदयू से बाहर का रास्ता दिखाये जाने के बाद से जीतनराम मांझी लगातार अपनी राजनीतिक गतिविधियों के कारण सुर्खियों में रहे है. हालांकि, जीतनराम मांझी ने किसी भी दल के साथ गठबंधन को लेकर अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. बावजूद इसके बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी भूमिका को लेकर राजनीतिक दलों के बीच मंथन तेज हो गया है.

बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही गठबंधन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है. जनता परिवार के विलय पर जहां भाजपा व एनडीए के नेता लगातार हमला कर रहे है, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जदयू, राजद, सपा समेत जनता परिवार के छह दलों के विलय में कोई तकनीकी बाधा नहीं है. उधर, राजद-जदयू के विलय पर प्रतिक्रिया देते हुए जीतनराम मांझी ने बीते दिनों कहा कि नीतीश कुमार ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को जेल भिजवाया और आज राजद प्रमुख व नीतीश कुमार करीब आ गये हैं. उनके इस बयान का राजनीतिक गलियारे में अलग-अलग मायने निकाला जाने लगा. राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो जीतनराम मांझी ने इस बयान के साथ ही लालू प्रसाद को आगाह किया है कि वे नीतीश कुमार के साथ जाने को लेकर एक बार फिर विचार करे एवं अन्य विकल्पों पर भी सोचें.

उधर, दलितों के बीच एक बड़े नेता के रूप स्थापित होने का दावा करने वाले जीतनराम मांझी की राजनीतिक गतिविधियों पर भाजपा की निगाहें टिकी हैं. इसी कड़ी में बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने बीते दिनों कहा था कि जीतनराम मांझी की ओर से गठबंधन के संबंध में किसी भी प्रस्ताव के आने पर पार्टी उसपर विचार कर सकती है. मालूम हो कि इससे पहले जीतनराम मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाया गया. उधर, जीतनराम मांझी ने भी इशारों में कई बार कहा है कि भाजपा से उन्हें कोई परेशानी नहीं है, उन्हें दिक्कत सिर्फ नीतीश कुमार से है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा व जीतनराम मांझी के नजदीक आने के संबंध में कई बार संकेत मिले हैं. हालांकि गठबंधन के संबंध में असल तस्वीर आने में थोड़ा वक्त लग सकता है. इसी कड़ी में भाजपा नीत एनडीए में शामिल लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लालू प्रसाद यादव से क्यों मोह है पता नहीं लग रहा है. रामविलास पासवान के इस बयान से साफ है कि लालू यादव को लेकर जीतनराम मांझी के चिंतित होने पर एनडीए को एतराज है. जबकि जीतनराम को लेकर एनडीए चिंतित है.

उधर, जीतनराम मांझी लगातार कहते रहे है कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान वो किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. हालांकि यह तो वक्त ही बतायेगा कि जीतनराम मांझी अकेले चुनाव लड़ेंगे या किसी के साथ गठबंधन करेंगे. राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक चुनाव के नजदीक आने के साथ ही बिहार में चुनावी गठबंधन की तस्वीर साफ होती जायेगी.

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