निगरानी की ‘प्राथमिकी’ बने 12 प्राचार्य

पटना: मगध विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो अरुण कुमार के कार्यकाल में गलत तरीके से बहाल हुए 12 प्राचार्यो की नियुक्ति का मामला बुधवार को निगरानी की विशेष अदालत में पहुंचा. निगरानी-1 के विशेष जज राघवेंद्र कुमार सिंह की कोर्ट में प्राथमिकी में दर्ज सभी 25 नामजद अभियुक्तों की सूची पेश की गयी. अब अदालत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2015 6:39 AM

पटना: मगध विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो अरुण कुमार के कार्यकाल में गलत तरीके से बहाल हुए 12 प्राचार्यो की नियुक्ति का मामला बुधवार को निगरानी की विशेष अदालत में पहुंचा. निगरानी-1 के विशेष जज राघवेंद्र कुमार सिंह की कोर्ट में प्राथमिकी में दर्ज सभी 25 नामजद अभियुक्तों की सूची पेश की गयी.

अब अदालत इस मामले में आगे की सुनवाई करेगा. रिटायर आइएएस अधिकारी बीबी लाल कमेटी की जांच रिपोर्ट को अपना आधार बनाते हुए निगरानी के एसपी अश्विनी कुमार ने अभियुक्तों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. निगरानी ब्यूरो ने इस मामले में भादवि का धाराएं 193, 409, 420, 467, 471,120 बी, 201/34 एवं 7/13/2 इसके साथ 13-1 बी और बिहार आरक्षण अधिनियम की धारा 12 में मामला दर्ज किया है.

निगरानी ब्यूरो की प्राथमिक जांच रिपोर्ट

प्राचार्यो की नियुक्ति में शिक्षा विभाग की अनुमति नहीं ली गयी. रोस्टर का अनुपालन नहीं किया गया. कुलपति द्वारा शिक्षा विभाग में चयन समिति के सदस्यों के लिए कोई पत्रचार नहीं किया गया.

समान अंकवाले अभ्यर्थियों में किसी एक को चुनने के अधिकार की जगह कुलपति ने कम अंक वाले अभ्यर्थी शशि प्रताप शाही की नियुक्ति की.

16 जनवरी, 2013 को 12 प्राचार्यो की नियुक्ति की गयी उनके पदस्थापना स्थल का न तो जिक्र किया गया है और न ही विवि की वेबसाइट पर जारी किया.

नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने के पूर्व कुलाधिपति से इसकी अनुमति नहीं ली गयी. दलवीर सिंह का चयन अल्पसंख्यक पद के चयन के रूप में किया गया, जबकि आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया था.

अभियुक्तों ने कुलपति, कुलसचिव और उप कुलपति, बैठक अधिकारी और चुने गये प्राचार्यो ने सांठगांठ कर पूरी नियुक्ति प्रक्रिया में पद का भ्रष्ट दुरुपयोग किया.

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