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खिसकें नहीं, विकास के लिए दौड़ें बैंक : नीतीश

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में कार्यरत बैंकों को आम लोगों के हित में कदम उठाने की नसीहत दी है. बुधवार को स्थानीय चाणक्या होटल सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक में उन्होंने बैंकों के कामकाज के प्रति नाराजगी जतायी और कहा कि सरकार अपनी ओर से काम कर रही […]

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में कार्यरत बैंकों को आम लोगों के हित में कदम उठाने की नसीहत दी है. बुधवार को स्थानीय चाणक्या होटल सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक में उन्होंने बैंकों के कामकाज के प्रति नाराजगी जतायी और कहा कि सरकार अपनी ओर से काम कर रही है.

बैंकों से अपेक्षा है कि वे बैंकिंग सेवा के लिए कदम बढ़ाये, न कि सिर्फ पैर खिसकाये. जिस प्रकार बैंकों में डिपोजिट हो रहा है, उसी तरह उन्हें क्रेडिट के लिए भी तिजोरी का मुंह भी खोलना चाहिए. मुख्यमंत्री ने सभी ग्राम पंचायतों में बैंकों की शाखा खोलने और बैंकों को अपने स्टाफ बढ़ाने की भी नसीहत दी. साथ ही बिहार के लिए एनुअल टारगेट प्लान को भी बढ़ाने का बैंकों को निर्देश दिया. उन्होंेने कहा कि अभी प्रधानमंत्री जन धन योजना के खाते खुले हैं लेकिन, ये फंक्शनल नहीं हैं.

मुख्यमंत्री ने बैकों से वनवे ट्रैफिक खत्म करने की नसीहत देते हुए कहा कि बैंक शाखा खोलने के लिए सरकार ने ऑफर भी दिया है कि पंचायत भवनों में शाखा खोल सकते हैं, लेकिन इसका लाभ बैंक नहीं उठा रहे हैं. इसके कई बैंकों की शाखाओं में सिर्फ एक अधिकारी तैनात हैं. इससे काम नहीं चलेगा और यह वनवे ट्रैफिक है. बैंकों की आमदनी इतनी बढ़ रही है, तो एक हिस्सा स्टाफ की बढ़ोतरी में लगाये और बहाली करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बारिश, ओलावृष्टि और आंधी-तूफान में जो फसल का नुकसान हुआ है. उस पर सरकार इनपुट सब्सिडी दे रही है. पहले 50 फीसदी नुकसान पर यह दिया जाता था, लेकिन अब 33 फीसदी फसल के नुकसान पर ही दिया जा रहा है. शिकायत मिल रही है कि इसकी राशि दे दी गयी है, लेकिन किसानों के खाते में नहीं जा रही है. बैंक की शाखा नहीं होगी तो इसमें और परेशानी होगी.

सीएम नीतीश कुमार ने बैंकों को जन शिकायत कोषांग को दुरुस्त करने की नसीहत देते हुए कहा कि खाताधारकों की क्या समस्या है, इसमें पारदर्शिता होनी चाहिए. आज लोग बैंकों में सिर्फ डिपोजिट कर रहे हैं, लेकिन कर्ज बैंक से बाहर से ले रहे हैं. यह बैंकों के लिए चुनौती है. बैंकों में आपराधिक घटनाएं होती रहती है. इसमें सुरक्षा को लेकर प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है. पुलिस का सहयोग करें व उनसे सहयोग लें. साथ ही बैंकों में आंतरिक भ्रष्टाचार को रोकना होगा और अंदरूनी व्यवस्था को दुरुस्त करनी होगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले की तुलना में सीडी रेशियो में कुछ सुधार आया है. 2004-05 में यह 32 फीसदी थी, जबकि 2014-15 में यह बढ़ कर 44 फीसदी हो गया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 78 फीसदी का है. राष्ट्रीय औसत से हम अब भी काफी पीछे हैं. बिहार में जो पैसा डिपोजिट हो रहा है उसमें आधा से कम राशि ही ऋण के रूप में मिल रही. यहां की डिपोजिट राशि दूसरे राज्यों में चली जा रही है.

शिक्षा ऋण में सुधार, पर अपर्याप्त

नीतीश कुमार ने कहा कि शिक्षा ऋण में सुधार आया है, लेकिन यह अब भी अपर्याप्त है. बैंकों ने बिहार के लिए 2014-15 में 74,000 करोड़ का क्रेडिट का टारगेट रखा था. इसमें बढ़ोतरी की आवश्यकता है. राज्य की आबादी वर्तमान में करीब साढ़े 11 करोड़ हो गयी है. ऐसे में क्रेडिट के लिए 74 हजार करोड़ अपर्याप्त है. बैंकों को हर सेक्टर में उदारता पूर्वक ऋण देना चाहिए. बैंकों को जो डिफॉल्टर नहीं हैं, उनको केसीसी का रिन्युवल कर देना था, लेकिन नहीं हो सका है. उन्होंने कृषि के क्षेत्र में बैंकों को उदार रवैया अपनाने की सलाह दी. मुख्यमंत्री ने सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहली किस्त में 50 हजार को बढ़ा कर एक लाख और दूसरी किस्त को दो लाख करने के सुझाव दिये. 8,402 ग्राम पंचायतों में 5,298 में किसी भी बैंक की शाखा नहीं है. हर ग्राम पंचायत में बैंकों की शाखा खुलनी चाहिए. बिहार में वर्तमान में 18000 आबादी पर एक बैंक की शाखा है, जबकि राष्ट्रीय औसत यह 11 हजार से भी कम है.

बैठक का संचालन एसएलबीसी के स्टेट को-ऑडिनेटर सतीश कुमार ने किया. इस मौके पर वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, एसबीआइ के सीजीएम एके सूद समेत विभिन्न विभागों के अधिकारियों व बैंकों के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

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