नयी दिल्ली: विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के मतदाताओं तक पहुंच बनाने की पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को राज्य की जनता से जातिवाद से ऊपर उठने और सबसे बेहतर को समर्थन देने की अपील की. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कुछ कृतियों के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बिहार को प्रगति और समृद्धि की सोच के साथ आगे ले जाने को प्रतिबद्ध हैं और इस राज्य की प्रगति के बिना भारत का विकास अधूरा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक तरफ जहां भारत का पश्चिमी भाग में समृद्ध है, वहीं पूर्वी भारत ज्ञान से परिपूर्ण है. उन्होंने कहा कि देश के विकास में दोनों क्षेत्रों की समान हिस्सेदारी होनी चाहिए. दिनकरजी द्वारा 1961 में लिखे एक पत्र का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि राष्ट्रकवि का यह मत था कि बिहार को जातपात को भूलना और सबसे अच्छे पथ का अनुसरण करना होगा. नरेंद्र मोदी ने पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि आप एक या दो जातियों के सहारे शासन नहीं कर सकते, अगर आप जातपात से उपर नहीं उठेंगे, तब बिहार का सामाजिक विकास प्रभावित होगा.
मोदी ने कहा कि दिनकर जी की कविताओं ने जयप्रकाश नारायण और युवा पीढी के बीच सेतु का काम किया. उस समय सरकार के खिलाफ लोगों को जगाने का काम उनकी रचनाओं के माध्यम से हुआ. उन्होंने कहा कि दिनकर जी समाज को कभी चुप बैठने नहीं देते थे. जब तक समाज सोया रहा, तब तक वे चैन से नहीं बैठे. वे युवाओं की चेतना और अंतर्मन को आंदोलित करने के लिए केवल अपने मनोभाव को व्यक्त ही नहीं करते थे बल्कि उनके अंदर जो आग थी.
उस आग को अपनी कृतियों के माध्यम से आने वाली पीढियों के लिए रौशनी में तब्दील करने का काम किया. मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वी उत्तरप्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों का विकास पूरे देश के विकास के लिए जरुरी है. आज दिनकर जी से संबंधित समारोह में मोदी की उपस्थिति को बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को अपने साथ लाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.
मोदी ने कहा कि दिनकर जी का पूरा साहित्य खेत और खलिहान, गांव और गरीब से जुडा है. बहुत सी रचनाएं ऐसी होती हैं जो किसी न किसी को, कभी न कभी स्पर्श करती हैं. लेकिन बहुत कम रचनाएं ऐसी होती हैं जो पूरे समाज को स्पर्श करती हैं. जो कल, आज और आने वाले कल को स्पर्श करती है. दिनकर जी की रचनाएं ऐसी ही थीं जिसने कल और आज को स्पर्श किया तथा आने वाली पीढी के लिए भी यह प्रसांगिक है.