पटना : पश्चिमी नेपाल में बडे पैमाने पर हुए भूस्खलन के कारण भारत से होकर बहने वाली काली गंडकी नदी का मार्ग अवरुद्ध हो जाने पर बाढ का खतरा उत्पन्न होने के मद्देनजर विभिन्न जिलों को सचेत किया गया है. बिहार के जल संसाधन विभाग के सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि काली गंडकी नदी में कोई भी टूट होने पर जलस्तर के बढने की आशंका के मद्देनजर विभागीय कर्मियों के साथ पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सिवान और सारण जिलों को सचेत किया गया है.
उन्होंने बताया कि गंडक नदी के निचले इलाकों में सैकडों गांव आते हैं और वहां तात्कालिक खतरा जलस्तर बढने का है. सिंह ने कहा कि इसको लेकर दहशतजदा होने की जरुरत नहीं क्योंकि भूस्खलन स्थल हमारी सीमा से बहुत दूर है और ऐसी संभावना व्यक्त की गयी है कि वहां से किसी प्रकार की टूट होने पर जल के रास्ते में ही फैल जाएगा.
उन्होंने कहा कि उक्त कृत्रिम बांध भारत-नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर बराज से करीब 200 किलोमीटर दूर है और एक विभागीय कर्मी को वहां की स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा गया है. जल संसाधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि उक्त कृत्रिम बांध के कारण उस नदी का 90 प्रतिशत जल रुक गया है जिससे वहां एक कृत्रिम झील बन गयी है जो कि करीब चार किलोमीटर लंबी और 200 मीटर मोटी है जिसमें 1.5 मिलियन क्यूबिक लीटर जल मौजूद है.
इसबीच वाल्मीकिनगर बराज का स्लूस गेट जो कि गर्मी के समय में कम जलस्तर होने के कारण पहले से ही खुला हुआ है, के बारे में जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (उत्तर) राजेश कुमार ने कहा कि अचानक पानी का प्रवाह आने पर कम जलस्तर के होने से मदद मिलेगी.
काठमांडो से करीब 140 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में म्यागदी जिले में बीती रात हुए भूस्खलन के बाद काली गंडकी नदी में झील बन गई है. बाढ की आशंका के कारण हजारों लोग सुरक्षित इलाकों की ओर पलायन को विवश हैं. अब तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.
नेपाल पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर कहा है कि नदी के अवरुद्ध होने के बाद यह कृत्रिम बांध 150 मीटर तक उपर की ओर उठ गया है. इसके मद्देनजर नेपाल में हाई-अलर्ट जारी किये जाने के साथ उस इलाके में सेना की तैनाती कर दी गयी है.
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष अगस्त महीने में पडोसी देश नेपाल में भोटे कोसी नदी में सिंधु पाल जिला अंतर्गत खैदी चौर के समीप अचानक भू-स्खलन के कारण काफी मात्रा में जलजमाव से इस नदी के जलश्राव एवं जल स्तर में वीरपुर बराज पर अत्यधिक वृद्धि होने तथा कोसी तटबंध के भीतर बसे लोग प्रभावित होने की संभावना के मद्देनजर जल संसाधन विभाग द्वारा संबंधित मुख्य अभियंता एवं प्रभावित होने वाले बिहार के जिलों सुपौल, मधुबनी और सहरसा के जिलाधिकारियों को अलर्ट जारी कर वांछित एहतयाती कार्रवाई के लिए निर्देशित किये जाने के साथ बचाव एवं राहत कार्य के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की प्रतिनियुक्ति की गयी थी.