गुड न्यूज्र मौसमी बीमारी के बारे में मिलेगी जानकारी, तैयार हो रहा हीट इंडेक्स, मौसम विभाग बनेगा डॉक्टर

पटना: गरमी के साथ मौसम में बढ़ रही नमी के कारण अचानक तबीयत खराब हो रही है? अभी ऐसा मौसम क्यों है? हमें क्या करना चाहिए? मौसम विभाग के पास ऐसे दर्जनों कॉल आते हैं. अब तक मौसम विभाग इनका कोई जवाब नहीं दे पाता था. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. अगले साल से मौसम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2015 6:33 AM
पटना: गरमी के साथ मौसम में बढ़ रही नमी के कारण अचानक तबीयत खराब हो रही है? अभी ऐसा मौसम क्यों है? हमें क्या करना चाहिए? मौसम विभाग के पास ऐसे दर्जनों कॉल आते हैं. अब तक मौसम विभाग इनका कोई जवाब नहीं दे पाता था. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. अगले साल से मौसम विभाग बीमार करनेवाले दिनों की भी जानकारी देगा. मौसम विभाग के साइंटिस्ट की टीम ने एक रास्ता निकाल लिया है. पूरे वर्ल्ड के मौसम फॉर कास्ट का अध्ययन करने के बाद पटना मौसम विभाग ने भी अब इस तरह के मौसम की रिकॉर्डिग और डाटा बेस तैयार कर लिया है,जिसे डिस कंफर्ट वेब कहते हैं. पिछले दस महीनों से इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
डिस कंफर्ट वेब से हो रहा तैयार : पटना मौसम विभाग अब अधिकतम और न्यूनतम तापमान ही नहीं रखेगा, बल्कि हीट इंडेक्स भी तैयार करने जा रहा हैं. इसमें हीट को चार केटेगरी में बांटा जायेगा और उसका आपके शरीर पर पड़नेवाले असर के बारे में बताया जायेगा. इसका पूर्वानुमान भी सात दिन पहले ही कर दिया जायेगा ताकि आम लोगों को इसकी जानकारी मिल सके. लोगों को इस तरह की अगर परेशानी आये,तो वो क्या-क्या सावधानी बरतें. इसकी भी जानकारी मौसम विभाग की ओर से दिया जायेगा. मौसम विभाग के अनुसार इस तरह के अवेयरनेस डिटेल्स भी लोगों को उपलब्ध करवाया जायेगा.
तापमान के बढ़ने और घटने से नहीं पड़ता है कोई असर : अब तक हम यही समझ रहे हैं कि अगर तापमान बढ़ता है, तो परेशानी बढ़ती है और तापमान घटता है, तो परेशानी भी कम होती है. लेकिन, मौसम की मार से राहत तब मिलती है जब उसमें नमी का प्रतिशत अपने लेवल से अधिक या कम होता है. इसके लेवल से ही डिस कंफर्ट वेब का निर्माण होता है. नमी की वजह से धीरे-धीरे लोगों को अपने चपेट में लेना शुरू कर देता है.
यह सिस्टम सिर्फ बड़े देशों में : इस संबंध में पटना मौसम विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरके गिरी ने बताया कि यह सिस्टम अभी अमेरिका जैसे बड़े देशों में ही है. मौसम संबंधित जानकारी अब पटना में भी शुरू होगी. इसकी तैयारी हमने करनी शुरू कर दी है. नये साल से इस तरह की जानकारी मिल जायेगी.
जलन से राहत, ऊमस से आफत
पटना. राजधानी वासियों को सोमवार को पूरवा हवा से राहत मिली. शहर का अधिकतम तापमान दो डिग्री और घट गया. सोमवार को अधिकतम तापमान 38.4 डिग्री रिकार्ड किया गया जबकि न्यूनतम तापमान 25.6 डिग्री रहा. इस तरह दो दिनों में पटना में अधिकतम तापमान में छह डिग्री की गिरावट आयी. शनिवार को हीट वेव चरम पर था. अधिकतम तापमान 44.3 रिकॉर्ड किया गया था. अब पुरवैया हवा के कारण हीट वेव से लोगों को निजात मिल गयी है. वहीं इससे ऊमस काफी बढ़ गयी है. सोमवार को अब तक का सर्वाधिक ह्यूमिडिटी लेवल 68 प्रतिशत तक चला गया जबकि न्यूनतम स्तर 52 फीसदी था. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार मंगलवार को भी अधिकतम तापमान 26 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा. अब तक गरमी से तप रहे गया में भी सोमवार को थोड़ी राहत मिली. वहां का अधिकतम तापमान दो डिग्री घट कर 42.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया.
जो शनिवार को 45 डिग्री से ऊपर था. वहां अभी उत्तरी छोर से हवा चल रही है जो अब पुरवैया होने की संभावना है. पुरवैया के बाद एक से दो डिग्री तापमान और नीचे गिरेगा. गया में सोमवार को ह्यूमिडिटी लेवल 39 प्रतिशत के आसपास रहा. इस कारण लोगों को हीट वेव महसूस हुआ. यदि लेवल 50 प्रतिशत से ऊपर हो जायेगा, तो फिर वहां अच्छी राहत मिलेगी. पूर्णिया में मौसम सुहावना है. वहां का तापमान 25 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकार्ड किया गया है.
डिस कंफर्ट वेब की चार केटेगरी
एक्सट्रीमली हॉट : इसमें तापमान 41 डिग्री से 42 डिग्री के आसपास रहता है. घर के बाहर निकलते हैं, तो हिट स्ट्रोक की चपेट में आ सकते हैं. सांस फूलने लगेगा और आंखों में जलन शुरू हो जायेगी.
वेरी हॉट : इसमें तापमान 40 डिग्री के आसपास आंका जाता है. इस दौरान सनवर्म, हिट स्ट्रोक व एक्सपोजर का चांस रहता है. अगर आप फिजिकल एक्टिविटी अधिक करते हैं,तो आपको घर से नहीं निकलना चाहिए.
हॉट : इसमें तापमान 32 डिग्री के आसपास रहता है. इस दौरान कभी भी आप हिट स्ट्रोक की चपेट में आ सकते हैं. दिल के मरीज के लिए यह थोड़ा खतरा पैदा कर सकता है. शरीर के कुछ हिस्सों पर असर दिख सकता है.
वेरी वार्म : इसमें 26 डिग्री के आसपास तापमान रहता है. नमी रहती है. इसमें सिर चकराने से लेकर एलर्जी और फंगस का खतरा बना रहता है. इचिंग अधिक रहती है. यह बारिश के सीजन में अधिक परेशान करता है .

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