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थाने पहुंचे, पर नहीं हुए गिरफ्तार

पटना: जीएम की पिटाई मामले में नामजद अभियुक्त पावर सप्लाइ इंजीनियर्स एसोसिएशन (पेसा) के अध्यक्ष सहित चार नेता सोमवार की दोपहर अचानक कोतवाली थाने पहुंच गये. ऊर्जा मंत्री से बातचीत के पहले यूनियन नेताओं के थाना पहुंचने से माहौल गरम हो गया. कई तरह की अटकलें लगायी जाने लगीं. करीब आधे घंटे तक थाने में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2013 7:39 AM

पटना: जीएम की पिटाई मामले में नामजद अभियुक्त पावर सप्लाइ इंजीनियर्स एसोसिएशन (पेसा) के अध्यक्ष सहित चार नेता सोमवार की दोपहर अचानक कोतवाली थाने पहुंच गये. ऊर्जा मंत्री से बातचीत के पहले यूनियन नेताओं के थाना पहुंचने से माहौल गरम हो गया. कई तरह की अटकलें लगायी जाने लगीं. करीब आधे घंटे तक थाने में डटे रह कर चारों नेताओं ने कोतवाली पुलिस से गिरफ्तारी लेने का आग्रह किया, लेकिन कोतवाली डीएसपी ममता कल्याणी ने इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि जांच के बाद सुपरविजन रिपोर्ट के आधार पर ही गिरफ्तारी होगी. डीएसपी के लिखित आश्वासन पर चारों नेता थाने से निकले.

जीएम (कॉमर्शियल) ने एफआइआर में पेसा के अध्यक्ष वीरेंद्र प्रसाद, उपाध्यक्ष जेपी सिंह, सचिव अश्विनी कुमार, पूर्व महासचिव बीएल यादव व दो असिस्टेंट इंजीनियर सहित छह इंजीनियरों को नामजद अभियुक्त बनाया है. इनमें से चार इंजीनियर वीरेंद्र प्रसाद, जेपी सिंह, अश्विनी कुमार व बीएल यादव शाम चार बजे अपने वकील के साथ गिरफ्तारी देने कोतवाली थाने पहुंचे. वकील ने बताया कि एफआइआर में धारा 307 सहित कई गैर जमानती धाराएं लगी हैं, इसलिए गिरफ्तारी देकर जमानत लिया जाना जरूरी है. उस वक्त थानेदार अमन कुमार अनुपस्थित थे. थाने में गिरफ्तारी के इंतजार के दौरान इंजीनियरों के फोन घनघनाते रहे. उनको ऊर्जा मंत्री व सीएमडी द्वारा फोन कर समझाया गया कि पहले वार्ता कर लें, गिरफ्तारी नहीं होगी. उनको मनाने के लिए जदयू के एक नेता को भी भेजा गया. मान-मनौव्वल के बाद इंजीनियर मान गये और डीएसपी का लिखित आश्वासन लेकर जदयू नेता की गाड़ी पर वार्ता के लिए रवाना हो गये.

स्थल पर नहीं, फिर भी बनाया आरोपित : नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के जीएम (कॉमर्शियल) एसके सिंह ने पेसा अध्यक्ष सहित जिन छह इंजीनियरों को नामजद आरोपित बनाया है, उनका दावा है कि वे लोग घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे. उनका कहना है कि प्रदर्शनकारी जीएम (कॉमर्शियल) के उस बयान से नाराज थे, जिसमें उन्होंने पेसा पर अकर्मण्यता के आरोप लगाये थे. पेसा अध्यक्ष वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि एक षड्यंत्र के तहत उन पर एफआइआर करायी गयी है.

यह एक सोची-समझी साजिश है. उन्होंने कहा कि जिस वक्त घटना हुई, वह मौके पर मौजूद नहीं थे. उस दिन मधुबनी में होने के बावजूद उन पर पटना में केस किया गया. पेसा के पूर्व महासचिव बीएल यादव ने कहा कि पेसा को लेकर दिये गये बयान को लेकर कर्मियों में रोष था, इसी वजह से घटना घटी. उस वक्त मौके पर मैं नहीं था. एफआइआर में नाम डाले जाने पर कहा कि श्री सिंह को स्वयंभू नेता बनने का शौक है. कुछ बातों को लेकर ईष्र्या थी, इसलिए हमारा नाम डाला. पेसा उपाध्यक्ष जेपी सिंह ने कहा कि दुर्भावना रखना गलत है.

लाठीचार्ज के दिन हमलोग वहां संयुक्त प्रदर्शन को लेकर इकट्ठा थे. मारपीट के दौरान हमने बीच-बचाव भी किया. सिर्फ उनको ही नहीं दूसरे लोगों को बचाने में मुङो भी चोट लगी. वैसे सीएमडी ने भी आश्वासन दिया है कि अगर जांच में पाया गया कि गलत आदमी पर एफआइआर हुई है, तो दोषी पक्ष पर न्यायोचित कार्रवाई होगी. पेसा सचिव अश्विनी कुमार ने कहा कि मैं मौके पर मौजूद ही नहीं था. उस वक्त हॉस्पिटल में भरती था. आरोप बेबुनियाद और सच्चई से परे है. आरोपित बनाये गये दो सहायक अभियंताओं शिवशंकर पांडेय व सुमन आनंद से संपर्क नहीं होने से बातचीत नहीं हो पायी.

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