पटना: बिजली महकमे में अजीबोगरीब स्थिति है. बिजली कंपनी के अधीन काम कर रहे 12 हजार कर्मचारियों का वास्तविक नेता कौन है, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है. सरकार से बातचीत के लिए जो नेता अधिकृत हैं, वे तो सरकार के साथ हैं, पर जो नाराज कर्मचारी हैं, वे एक यूनियन के संरक्षक को साथ लिये खड़े हैं. यह दीगर है कि अब इस संरक्षक पर ही यूनियन नेताओं ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है.
लेकिन, कुल घटनाक्रम में यह अब भी तय नहीं हो सका है कि विश्वकर्मा पूजा के बाद जब 18 सितंबर को बिजली कंपनी के कार्यालय खुलेंगे, तो कर्मचारी काम करेंगे कि नहीं. बिजली बिल जमा होगा कि नहीं. वार्ता करनेवाले कर्मचारी नेताओं ने काम करने की बात कही, तो नाराज कर्मचारियों के नेता ने कहा कि काम का बहिष्कार जारी रहेगा.
कौन कर रहा बातचीत
बिजली कंपनी के अधीन काम कर रहे कर्मचारी-अधिकारी व अभियंताओं के लिए 17 संगठन हैं. इन संगठनों ने मिल कर एक मोरचा बनाया है. इसका नाम विद्युत कामगार-पदाधिकारी-अभियंता संयुक्त मोरचा है. इस मोरचे में पेसा, जेसा, प्रशासनिक सेवा संघ, लेखा सेवा संघ, तकनीकी पदाधिकारी सेवा संघ, बिहार स्टेट इलेक्ट्रिक सप्लाई वर्कर्स यूनियन, दक्षिणी मंदिरी, बिहार-झारखंड राज्य विद्युत परिषद फील्ड कामगार यूनियन, बिहार स्टेट प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रिक वर्कर्स यूनियन, बिहार पावर वर्कर्स यूनियन, बिहार बिजली मजदूर यूनियन, बिहार पावर वर्कर्स यूनियन, बिहार विद्युत तकनीकी कामगार यूनियन, बिहार प्रदेश विद्युत श्रमिक संघ, बिहार विद्युत तकनीकी कामगार यूनियन, बिहार राज्य विद्युत मजदूर यूनियन, बिहार बिजली मजदूर यूनियन व बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एसोसिएशन शामिल हैं.