नयी दिल्ली/पटना : बिहार में राजनीति चरम पर है. जहां एक ओर जनता परिवार को लेकर अड़चन बरकरार है. वहीं, दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. हालांकि प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद जीतन राम मांझी ने कहा कि इस दौरान नरेंद्र मोदी से बिहार की राजनीति पर चर्चा नहीं हुई. लेकिन उन्होंने एक बार फिर कहा कि नीतीश कुमार से अलग वह किसी गठबंधन की मदद ले भी सकते हैं व जरूरत पड़ने पर मदद कर भी सकते है. मांझी के इस बयान से साफ है कि जदयू को छोड़कर वह किसी भी दल के साथ गठबंधन कर सकते है. आपको बता दें कि जीतन राम मांझी के जनता परिवार में शामिल होने के प्रस्ताव पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच मतभेद गहरा गये हैं.
उल्लेखनीय है कि जीतन राम मांझी ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगा था. जदयू से बाहर किये जाने के बाद जीतन राम ने हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा नाम से नई पार्टी बनायी है. प्रधानमंत्री से मुलाकात के संबंध में टीवी पत्रकार के सवालों का जवाब देते हुए मांझी ने कहा कि इस मुलाकात के दौरान पीएम से बिहार में किसानों की खराब होती स्थिति पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय से बिहार में कई किसानों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है और इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाते हुए उचित समाधान निकालने की बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान बिहार में धान की बिक्री में हुई गड़बिड़यों से उन्हें अवगत कराया गया. उधर, सूत्रों की मानें तो जीतन राम ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान एनडीए के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने समेत अन्य मुद्दों पर बात की.
गठबंधन में मामले पर उन्होंने एक बार फिर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़कर वे किसी भी दल के साथ विलय कर सकते है. हालांकि अभी इस विषय पर उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने गलत काम किया है और उनसे समझौता किये जाने का सवाल ही नहीं उठता है. सूत्रों की मानें तो महादलित समुदाय से आने वाले नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद भाजपा के अन्य शीर्ष नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं. गौरतलब है कि भाजपा नीत राजग राज्य में अपना आधार बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है. भाजपा अध्यक्ष अमति शाह ने कल मांझी से हाथ मिलाने का संकेत देते हुए कहा था कि बातचीत चल रही है और नये सहयोगी दलों के लिए उनकी पार्टी के दरवाजे खुले हुए हैं.
मांझी पर भाजपा नीत राजग के अलावा लालू की भी नजरें हैं क्योंकि महादलित समुदाय राज्य में काफी अहमियत रखता है. मांझी ने एक बार साफ किया था कि वह ऐसे किसी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे जिसमें नीतीश होंगे. नीतीश और लालू के बीच मतभेद सामने आने के बीच भाजपा को लगता है कि वह राज्य के दोनों क्षत्रपों से सत्ता अपने कब्जे में ले सकती है.