लचर वित्तीय प्रबंधन के कारण बिहार पिछड़ा केंद्रीय अनुदान लेने में: मोदी

संवाददाता, पटनापूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य सरकार केंद्र पर राशि की कटौती का आरोप लगाती है. गंठबंधन टूटने के बाद अपने खराब वित्तीय प्रबंधन के कारण 2014-15 में राज्य योजना के तहत केंद्रीय अनुदान मद में 12273 करोड़ रुपये नहीं ले सकी. उन्होंने कहा कि 13 वें वित्त आयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2015 10:05 PM

संवाददाता, पटनापूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य सरकार केंद्र पर राशि की कटौती का आरोप लगाती है. गंठबंधन टूटने के बाद अपने खराब वित्तीय प्रबंधन के कारण 2014-15 में राज्य योजना के तहत केंद्रीय अनुदान मद में 12273 करोड़ रुपये नहीं ले सकी. उन्होंने कहा कि 13 वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि में से करीब दो हजार करोड़ रुपये लेने में भी बिहार सरकार विफल रही. लचर वित्तीय प्रबंधन का ही नतीजा था कि पिछले साल राजस्व संग्रह में पिछले दस वर्षों में सबसे खराब प्रदर्शन रहा. साल 2012-13 में कुल राजस्व संग्रह में 28़.87 प्रतिशत की वृद्घि हुई थी वहीं गंठबंधन टूटने के बाद 2013-14 में वृद्घि की दर घट कर 22.़81 प्रतिशत रह गयी. वहीं 2014-15 में मात्र 3.33 प्रतिशत की ही वृद्घि हो सकी. उन्होंने कहा कि समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने व योजनाओं के पूरा करने में विफलता का नतीजा रहा कि वर्ष 2014-15 में राज्य योजनांतर्गत केंद्रीय अनुदान के 31419 करोड़ रुपये में से 12273 करोड़ रुपये राज्य सरकार नहीं ले सकी. नुरूम के लिए अनुशंसित अनुदान में से जहां 561़52 करोड़, मेडिकल शिक्षा मद में 386 करोड़, स्वास्थ्य क्षेत्र की अन्य योजनाओं में 676 करोड़, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम की 530 करोड़, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम की 581 करोड़, पिछड़ा क्षेत्र विकास अनुदान (जिला)़ की 768 करोड़, राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण योजना की 237 करोड़ और स्थानीय निकाय अनुदान मद में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के लिए देय 297़89 करोड़ की राशि लेने में सरकार विफल रही.

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