गठबंधन पर लालू ने तोड़ी चुप्पी, कहा- शीध्र हो फैसला

पटना: जनता परिवार के विलय को लेकर व्याप्त अनिश्चितता के बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को इस मामले में नीतीश कुमार के साथ जारी चुप्पी को तोड़ते हुए कहा कि वह अपनी पार्टी तथा जदयू के विलय अथवा राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए व्यापक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 2, 2015 12:03 AM

पटना: जनता परिवार के विलय को लेकर व्याप्त अनिश्चितता के बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को इस मामले में नीतीश कुमार के साथ जारी चुप्पी को तोड़ते हुए कहा कि वह अपनी पार्टी तथा जदयू के विलय अथवा राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए व्यापक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने जैसे दोनों विकल्पों के लिए तैयार हैं. बिहार के इन दोनों दलों के प्रस्तावित विलय को लेकर शुरु में काफी उत्साह दिखाने के बाद बताया जाता है कि लालू ने इस मामले में रुचि लेना कम कर दिया था. हालांकि आज उन्होंने पहली बार स्वीकार किया कि अनिश्चितता बरकरार रखने से अप्रिय माहौल बनता है.

राजद सुप्रीमो ने कहा कि मैं अब कह रहा हूं कि हमें महागठबंधन में शीघ्रता करनी चाहिए. जदयू को कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से भी उनकी मांगों एवं इच्छाओं के बारे में बातचीत करनी चाहिए. यदि आप राजद एवं जदयू के बीच विलय चाहते हैं तो मैं तैयार हूं. हम लोग आज ही बैठ जाते हैं और इसे अंतिम रुप दे लेते हैं. उन्होंने कहा कि नेतृत्व एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सहित सभी मुद्दे तभी हल हो सकेंगे जब गठबंधन को अंतिम रुप दे लिया जायेगा. बताया जाता है कि राजद एवं जदयू के बीच विलय का सबसे बड़ा रोड़ा जदयू द्वारा इस बात पर अड़े रहना है कि विलय के बाद बनने वाले दल में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जायें. लालू ने अभी तक नीतीश को भावी मुख्यमंत्री के रुप में पेश करने पर सहमति नहीं जतायी है.

मालूम हो कि लालू ने जीतनराम मांझी को व्यापक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन में शामिल होने की सार्वजनिक पेशकश कर नीतीश को अप्रसन्न किया है. पूर्व मुख्यमंत्री मांझी नीतीश के अब पसंदीदा नहीं रह गये हैं. जनता परिवार से निकले छह दलों के विलय को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में छह दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इन बातचीत में बिहार के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी. जनता परिवार से अलग हुए छह दलों सपा, राजद, जदयू, जदएस, इनेलो एवं समाजवादी जनता पार्टी ने अप्रैल में घोषणा की थी कि उनका विलय हो गया तथा नई पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह आदि मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित की थी. हालांकि उसके बाद से इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई. नीतीश ने दिल्ली में पिछले माह ऐसी ही एक बैठक में भाग नहीं लिया था जबकि वह उस दिन शहर में थे. बैठक से एक दिन पहले ही लालू ने प्रस्तावित गठबंधन में मांझी को शामिल करने का विचार रखा था.

लालू ने कहा, मैंने एक हफ्ते पहले नीतीश कुमार को टेलीफोन किया था तथा कहा था कि दिन गुजरते जा रहे हैं तथा अब हमें फौरन साथ बैठना चाहिए तथा गठबंधन, चुनाव, सीट एवं अन्य मुद्दों के बारे में तय करना चाहिए. हमारे बारे में बाजार में बहुत सी बातें हो रही हैं जिससे माहौल खराब हो रहा है. राजद प्रमुख ने कहा कि नीतीश नहीं आ सके क्योंकि वह आंख के रोग से उबर रहे हैं लेकिन जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने बातचीत के लिए उनके आवास पर आकर बातचीत की.

लालू द्वारा गठबंधन के लिए बातचीत को शीघ्रता से आगे बढ़ाये जाने पर दिया गया जोर कांग्रेस का नीतीश एवं जदयू के प्रति झुकाव की पृष्ठभूमि में आया है. कांग्रेस बिहार में जदयू सरकार का समर्थन कर रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी सहित कई पार्टी नेताओं ने नीतीश के नेतृत्व में कई बार भरोसा जताया है. उन्होंने अपनी इस इच्छा को भी व्यक्त किया है कि वे नीतीश के साथ चुनाव लड़ने को राजी हैं बशर्ते विधानसभा चुनाव में उन्हें सम्मानजनक संख्या में सीटें दी जायें.

लालू इस बात पर कायम हैं कि वह प्रस्तावित गठबंधन को लेकर सकारात्मक हैं नकारात्मक नहीं. लेकिन उनका यह भी मानना है कि बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए राजद एवं जदयू के बीच भरोसा होना बेहद महत्वपूर्ण है अन्यथा विरोधी को लाभ मिलेगा और हम संकट में आ जायेंगे. राजद प्रमुख ने कहा, हम भाजपा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. पूरा देश इसे लेकर आशान्वित है. जनता परिवार के विलय की बात यहां से शुरु हुई तथा महागठबंधन को लेकर भी यहीं से बातचीत प्रारंभ हुई. उन्होंने दोनों दलों के नेताओं से कहा कि वे गठबंधन को लेकर सार्वजनिक बयान देने से बचें क्योंकि इससे संदेह एवं भ्रम पैदा होता है.

Next Article

Exit mobile version