पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 को शुरू हुए दो महीने बीत गये हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक महज 10 योजनाओं में ही पैसा दिया है. इसमें केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) की संख्या पांच ही है. यानी इन योजनाओं को संचालित करने में केंद्र की तरफ से ही पूरा पैसा दिया जायेगा. शेष पांच योजनाएं मैचिंग ग्रांट या चेंज्ड शेयरिंग पैटर्नवाली हैं. इन योजनाओं को संचालित करने के लिए राज्य सरकार को अपनी तरफ से हिस्सेदारी देनी पड़ती है. अलग-अलग योजना में यह हिस्सेदारी भिन्न होती है. राज्य का यह मैचिंग ग्रांट 10 से 35 प्रतिशत तक होता है. इस वित्तीय वर्ष में सीएसएस की संख्या 34 हैं, जबकि शेयरिंग पैटर्न वाली योजनाओं की संख्या 20 हैं.
इन योजनाओं को सुचारु ढंग से संचालित करने के लिए केंद्र की तरफ से सभी योजनाओं में करीब 15 प्रतिशत रुपये आवंटित कर देना चाहिए था. योजनावार रुपये भेजने में देरी होने से इसके क्रियान्वयन पर प्रभाव पड़ेगा. योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल सकेगा. साथ ही अगर रुपये मिलने की रफ्तार ऐसी ही बनी रही, तो आनेवाले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो जायेगी. इसके बाद योजनाओं के क्रियान्वयन में समस्या आ जायेगी.