पटना: बक्सर के चौसा में प्रस्तावित 1320 मेगावाट की थर्मल परियोजना को पांच साल में पूरा कर लिया जायेगा. केंद्र सरकार व हिमाचल प्रदेश के संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन ने इसे वित्तीय वर्ष 2018-19 में पूरा करने का आश्वासन दिया है. इस यूनिट से बिहार को 85 फीसदी यानी 1122 मेगावाट बिजली मिलेगी. गुरुवार को बिहार दौरे पर आये कंपनी के सीएमडी आरपी सिंह ने ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव से मिलने के बाद यह आश्वासन दिया.
और परियोजनाओं पर होगा काम : संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि कंपनी का ध्यान फिलहाल चौसा पर है. इसे ससमय पूरा करने की योजना है. कंपनी आगे भी बिहार की कुछ और परियोजनाओं पर काम शुरू कर सकती है, लेकिन फिलहाल इस पर कोई सार्थक चर्चा नहीं हुई है. चौसा प्रोजेक्ट पर सीएमडी ने कहा कि 1048 एकड़ निजी व 16 एकड़ सरकारी जमीन का अधिग्रहण किया गया है. 60 प्रतिशत जमीन मिल चुकी है. शीघ्र ही बाकी जमीन भी कंपनी को उपलब्ध हो जायेगी.
साल-डेढ़ साल में आधारभूत संरचना का काम पूरा हो जायेगा. इसके चार साल बाद से बिजली उत्पादन शुरू हो जायेगा. सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित 1320 मेगावाट की इस परियोजना से बिहार को 85 फीसदी बिजली दी जायेगी. परियोजना के लिए पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में दियोछा-पचामी में अवस्थित 162 एमएमटी कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है. छह राज्य इस कोल ब्लॉक को विकसित करेंगे, जिसकी पहली बैठक 12 सितंबर को हो चुकी है. वैसे कंपनी कोयला के अभाव में बिजली उत्पादन को बाधित नहीं होने देगी.
कंपनी की ओर से केंद्र सरकार को कोल लिंकेज के लिए पत्र लिखा गया है. जरूरत हुई, तो इंडोनेशिया सहित अन्य देशों से भी विदेशी कोयले की आपूर्ति की जायेगी. लगभग आठ हजार करोड़ रुपये इस परियोजना पर खर्च होंगे. बिजली के टैरिफ के सवाल पर सीएमडी ने कहा कि मई, 2008 के मूल्य स्तर प पहला साल 2.37 रुपये व लेवलाइज्ड टैरिफ 2.59 रुपये होगा. वैसे कंपनी का यह दावा है कि वह बिहार सरकार को अन्य बिजली उत्पादक कंपनियों से सस्ती बिजली मुहैया करायेगी. मौके पर कंपनी के निदेशक आरएन मिश्र, एएस बिंद्रा, एनएल शर्मा व आरके बंसल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.