शिक्षा के अधिकार (आरटीइ) कानून का शहर के स्कूलों में नहीं किया जा रहा पालन, विभाग भी बंद किये हुए है आंख
पटना: शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सत्र 2014-15 में पटना जिले में मात्र 49 स्कूलों में ही नामांकन लिये गये. इन स्कूलों में कुल 690 बच्चों का नामांकन हुआ, जो कि पिछले साल की तुलना में 10 बच्चे कम हैं. सूत्रों की मानें तो आरटीइ के तहत जिले के कुल 256 स्कूलों में नामांकन […]
पटना: शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सत्र 2014-15 में पटना जिले में मात्र 49 स्कूलों में ही नामांकन लिये गये. इन स्कूलों में कुल 690 बच्चों का नामांकन हुआ, जो कि पिछले साल की तुलना में 10 बच्चे कम हैं. सूत्रों की मानें तो आरटीइ के तहत जिले के कुल 256 स्कूलों में नामांकन होना था. आरटीआइ एक्टिविस्ट अजय कुमार चौरसिया ने बताया कि कोई भी स्कूल आरटीइ कानून का फॉलो नहीं कर रहा है. स्कूलों को 25 फीसदी गरीब बच्चों का नामांकन लेना है, जबकि वे केवल नामांकन की खानापूर्ति करते हैं. गरीब बच्चों के नामांकन की जवाबदेही कोई अधिकारी नहीं लेते हैं.
सूत्रों की मानें तो किसी भी स्कूल के पास स्पष्ट जानकारी नहीं है कि कोटे के तहत उसे कितना नामांकन लेना है. स्कूल प्रशासन अपनी मरजी से स्टूडेंट्स की संख्या सरकार के पास भेज देता है और उतने ही बच्चों को आरटीइ कोटे में दिखा दिया जाता है. शिक्षा विभाग की ओर से इसकी जांच तक नहीं की जाती है. सबसे हास्यास्पद स्थिति यह है कि जो स्कूल गरीब बच्चों के नामांकन की सूची विभाग को नहीं भेजता है, उस पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जाती है.
नहीं पहुंचते स्कूल में बच्चे
शिक्षा के अधिकार कानून के अनुसार किसी भी प्राइवेट स्कूल के तीन किलोमीटर के दायरे में रह रहे तमाम गरीब बच्चों का नामांकन उस स्कूल में लिया जायेगा. साथ ही उन बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने की जिम्मेवारी स्कूल के साथ-साथ सर्वशिक्षा अभियान की भी होती है. लेकिन इसकी जिम्मेवारी दोनों में से कोई भी लेने को तैयार है. जो बच्चे स्कूल पहुंच गये, उसका नामांकन ले लिया जाता है, बाकी से किसी को कोई मतलब नहीं है. एक स्कूल प्रशासन के अनुसार पूरे क्षेत्र में ऐसे बच्चों को खोज कर नामांकन लेना संभव नहीं है.
जुर्माना देंगे, लेकिन नामांकन नहीं लेंगे
पटना के कई बड़े प्राइवेट स्कूलों को जुर्माना देना पसंद है, लेकिन उन्हें आरटीइ कोटे में नामांकन लेना पसंद नहीं है. सूत्रों की मानें तो कई स्कूल हर साल जुर्माना दे रहे हैं. इतना ही नहीं, आरटीइ कोटे के मामले में किसी भी बड़े स्कूल का नाम लिस्ट में शामिल नहीं रहता है. छोटे स्तर पर गली-मुहल्लों में चल रहे स्कूलों में ही आरटीइ के तहत नामांकन हो रहा है, जबकि इनमें अधिकतर सीबीएसइ व आइसीएसइ से मान्यता प्राप्त भी नहीं होते हैं. ज्यादातर सर्वशिक्षा अभियान के तहत आनेवाले स्कूल ही नामांकन लेते हैं.
आइटीइ के तहत कितना नामांकन हुआ है, हमारी जानकारी में इसका अभी पूरा डाटा नहीं है. सोमवार को हम पूरा डिटेल्स बता पायेंगे. कोई स्कूल नामांकन लेने मे लापरवाही कर रहा है, तो ऐसे स्कूलों की जानकारी लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी.
श्रीधर सी, प्राइमरी निदेशक, शिक्षा विभाग