941000 परिवारों के पास शौचालय नहीं
पटना: राज्य के 139 शहरों में रहनेवाले नौ लाख 41 हजार परिवार अभी तक खुले में शौच करने जाते हैं. स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) के तहत इन परिवारों को व्यक्तिगत घरेलू शौचालय निर्माण के लिए पहल आरंभ की गयी है. इसके साथ ही शहरों में स्थित शुष्क शौचालयों को भी फ्लश लैट्रिन में बदलने की […]
यह आकलन किया गया है कि इसमें से सात लाख 52 हजार 863 परिवार ऐसे हैं, जिनके पास शौचालय बनाने के लिए स्थान उपलब्ध है. अब इन परिवारों को सरकार ने शौचालय निर्माण के लिए केंद्र की ओर से चार हजार प्रति शौचालय तथा राज्य सरकार की ओर से प्रति शौचालय 1333 रुपये की अनुदान दिया जायेगा. शौचालय निर्माण की शेष राशि लाभार्थी को खुद वहन करनी होगी. इसके अलावा ऐसे व्यक्तिगत शौचालय, जिनका सीवेज, सीवर लाइन में बहाया जा सकता है, उन शौचालयों के लाभार्थियों को केंद्र सरकार की ओर से चार हजार रुपये का अनुदान देने का प्रस्ताव है.
ऐसे परिवारों को राज्य सरकार की ओर से अनुदान नहीं दिया जायेगा. सव्रेक्षण में यह पाया गया है कि राज्य के इन शहरों में 88363 परिवारों के यहां शुष्क शौचालय का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें से 60 फीसदी से अधिक यानी 53 हजार से अधिक शुष्क शौचालयों को फ्लश लैट्रीन में परिवर्तित किया जाना है. फ्लश लैट्रीन में शौचालयों के परिवर्तित किये जाने के लिए केंद्र की ओर से चार हजार, जबकि राज्य सरकार की ओर से 1333 रुपये देने का प्रस्ताव है. इसमें भी शेष राशि लाभार्थी को खुद वहन करना होगा. शहरों में रहनेवाले 20 फीसदी लोगों के पास शौचालय निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है. ऐसे परिवारों के लिए 6881 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया जायेगा. हर शहर में 600 लोगों के लिए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जायेगा. सार्वजनिक शौचालय में पांच सीट पुरुषों के लिए, जबकि दो सीट महिलाओं के लिए होगी. साथ ही मूत्रलय भी बनाये जायेंगे. सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण पीपीपी मोड पर होगा.