पटना. बिहार में इस बार 18 प्रतिशत तक कम बारिश हो सकती है. मौसम विज्ञान विभाग के इस पूर्वानुमान के बाद राज्य सरकार सचेत हो गयी है. आपदा प्रबंधन विभाग को तैयारी में जुटने का निर्देश दिया गया है. आपदा प्रबंधन विभाग से कहा गया है कि यदि इतनी कम बारिश हुई, तो धान समेत खरीफ अन्य फसलों की भारी क्षति होगी.
इसका सबसे बुरा असर धान की खेती पर होगा. इतनी कम बारिश में अन्य फसलों की भी बरबादी की आशंका उत्पन्न हो गयी है. आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सुखाड़ से निबटने की रणनीति पर विमर्श के लिए शुक्रवार को क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (सीएमजी) की बैठक होगी. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होनेवाली इस बैठक में धान की फसलों के लक्ष्य के अनुसार खेती के लिए बिचड़े की नर्सरी के लिए किसानों को मदद पर विमर्श किया जायेगा.
अधिकारी ने बताया कि मौसम विज्ञान केंद्र का पूर्वानुमान सही साबित हुआ, तो पेयजल की समस्या भी उत्पन्न हो जायेगा. विभागीय अधिकारी ने बताया कि बैठक में कम-से कम एक दर्जन संबंधित विभागों को जिम्मेवारी सौंपी जायेगी. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा कि विभाग यह मान कर तैयारी कर रहा है कि सूखा तो आना ही है. कुछ जिलों में बाढ़ भी आयेगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल धन का बिचड़ा डालना शुरू नहीं हुआ है. जल्द ही जल संसाधन विभाग और लघु जल संसाधन विभाग के सहयोग से किसानों को सिंचाई इंतजाम किया जायेगा. प्रधान सचिव ने कहा कि सीएमजी की बैठक में विभिन्न विभागों के सहयोग से सुखाड़ से निबटने की तैयारी शुरू कर दी जायेगी.
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एके सेन ने बताया कि राज्य में अब तक के पूर्वानुमान के अनुसार कम-से-कम 82 प्रतिशत बारिश और अधिकतम 95 प्रतिशत बारिश होने की संभावना है. सेन ने बताया कि यदि 82 प्रतिशत तक बारिश हुई, तो यह अल्प बारिश होगी. इससे राज्य के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इस साल हर हाल में पांच प्रतिशत कम बारिश की आशंका बनी हुई है.