साथ ही पार्टी ने सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने, धर्मनिपपेक्ष व सामान विचारधारावाली पार्टियों के साथ तालमेल भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध,आम जनता, नौजवान, दलित, पिछड़े, महिलाओं तथा गरीब-गुरबों के लिए आवाज बुलंद करने का निर्णय लिया.
वर्ष 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल को लेकर शरद पवार ने तारिक अनवर और पीपी संगमा के साथ मिल कर कांग्रेस से अलग होकर राकांपा की स्थापना की थी और यह पार्टी का 16वां स्थापना वर्ष है. राकांपा के इस महाधिवेशन में देश के विभिन्न भागों से आए करीब 700 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. हालांकि पवार के भतीजे और राकांपा के विधायक दल नेता अजित पवार अनुपस्थित रहे.
बिहार से ही मोदी को हटाने का शंखनाद : पवार
पटना:अध्यक्षीय संबोधन में शरद पवार ने कहा कि देश की राजनीति में बिहार का अहम स्थान रखता है. बिहार विधानसभा चुनाव देश को एक नयी राजनीतिक दिशा देगा. यहीं से नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेकने का शंखनाद होगा. यहां राजद, जदयू तथा कांग्रेस के साथ मजबूती के साथ मिल कर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में मोदी सरकार की उपलब्धि शून्य रही. किसी क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ. यूपीए सरकार के कामों की अपनी उपलब्धि बता रही है. उन्होंने कहा कि एनसीपी सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभा रहा है. भूमि अधिग्रहण बिल किसानों के हित में नहीं है. इसका विरोध जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि अभी तक आम जनता के अच्छे दिन नहीं आये. महंगाई बढ़ रही है.
मोदी सरकार ने कृषि व सामाजिक सेक्टर की बजट राशि की कटौती की. कृषि में तो करीब दो हजार करोड़ की कटौती की गयी. श्री पवार ने 33 फीसदी महिला आरक्षण की वकालत भी की. उन्होंने जन-धन योजना को भी छलावा बताया. योजना मद में कटौती कर राजकोषीय घाटे को जीडीपी के चार फीसदी पर लाकर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. देश में अल्पसंख्यकों को मोदी सरकार डरा रही है. उन्होंने गांव व शहर के असंतुलन को भी पाटने की वकालत की. श्री परार को कुरीतियों की भी खिलाफत करने की बात कही. अंत में उन्होंने बिहार के कार्यकर्ताओं से चुनाव में पार्टी और गठबंधन के उम्मीदवार को जीताने की अपील की.