नीतीश कुमार 10 साल से मुख्यमंत्री हैं. इसके बावजूद उन्हें क्यों यह पता नहीं है कि लोग कैसा विकास चाहते हैं? जब उनकी सरकार के पास सिर्फ तीन महीने बचे हैं, तब जनभागीदारी से दस साल के विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने की जरूरत क्यों महसूस हुई? अगर सरकारी खर्च पर किराये के लोगों को हजारों गांवों में भेजा जा रहा है, तो इनको जनता से यह भी पूछना चाहिए कि बिहार के पिछड़ेपन के लिए क्या कांग्रेस के 45 साल और लालू-राबड़ी शासन के 15 साल जिम्मेवार नहीं हैं?
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पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, नीतीश कुमार ने किया सरकारी धन का दुरुपयोग
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने विकास के बारे में सीधे लोगों से राय लेने के नाम पर करोड़ों रुपये की सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार पर सरकारी खर्च से जदयू का प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया है. मोदी ने कहा है कि […]
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने विकास के बारे में सीधे लोगों से राय लेने के नाम पर करोड़ों रुपये की सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार पर सरकारी खर्च से जदयू का प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया है. मोदी ने कहा है कि विधान परिषद चुनाव की प्रक्रिया के दौरान यह कार्यक्रम चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. चुनाव आयोग से संज्ञान लेने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि विधान परिषद चुनाव की प्रक्रिया जारी है और इस दौरान लाखों वार्ड सदस्यों को विजन अभियान से प्रभावित करने की कोशिश की जायेगी.
किनके शासन में विकास ठप हुआ, पलायन बढ़ा और अपहरण उद्योग बन गया था?
सरकारी संपर्ककर्ता यदि पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार लोगों के बारे में सवाल नहीं पूछते, तो यह पूरी कवायद विकास की उपलब्धि को बढ़ा-चढ़ा कर बताने का चुनावी हथकंडा मात्र है. पहले भी कुछ मुख्यमंत्री सरकारी पैसे से चुनाव प्रचार का अनैतिक तरीका अपना चुके हैं.
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