चौधरी ने कहा कि इस प्रक्रिया के माध्यम से मिलनेवाली जानकारी के आधार पर दृष्टि पत्र का प्रकाशन भी विधान परिषद चुनाव के बाद ही किया जायेगा. इसका प्रत्यक्ष या फिर परोक्ष रूप से स्थानीय निकाय कोटा के विधान परिषद के चुनाव पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. बिहार सरकार इस कार्यक्रम के माध्यम से जनता की भावनाओं व प्राथमिकताओं को आनेवाले समय में अपने नीति निर्धारण की प्रक्रिया में शामिल करना चाहती है. इस कार्यक्रम में किसी को भी प्रभावित करने की कोशिश नहीं की जा रही है, बल्कि लोगों की अपेक्षाओं को सरकार के नीति निर्माण की प्रक्रिया में शामिल करने की कोशिश की जा रही है.
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बिहार@2025 पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने, इसे संकीर्ण भावनाओं से न देखें
पटना: राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि ‘बिहार एट 2025 बढ़ चला बिहार’ कार्यक्रम से किसी भी रूप में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता है. केंद्रीय आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह […]
पटना: राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि ‘बिहार एट 2025 बढ़ चला बिहार’ कार्यक्रम से किसी भी रूप में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता है. केंद्रीय आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह तो मात्र 2025 में बिहार के लिए दृष्टि पत्र के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत है.
भाजपा नेता कर रहे दुष्प्रचार : जदयू के विधान पार्षद डॉ रणवीर नंदन ने कहा कि जब से गंठबंधन के नेता के रूप में नीतीश कुमार का नाम आया है, तब से भाजपा का खड़ा किया हुआ हवाई महल भर-भरा के गिर गया है. यह भाजपा की पहली हार है. जदयू के प्रवक्ता निहोरा प्रसाद यादव ने कहा कि भाजपा नेता मुख्यमंत्री को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार कर रहे हैं.
भाजपा नेता कह रहे हैं कि जदयू सरकार से भाजपा के अलग होने से बिहार के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, लेकिन सच्चई है कि पिछले नौ सालों में बिहार ने पिछड़े और बीमारू राज्यों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है.
इस योजना के पूरा होने के बाद बिहार 2025 के लिए दृष्टिपत्र तैयार होगा, जो आनेवाले किसी भी सरकार के लिए उपयोगी व सहायक होगा. आनेवाली सरकारें इस दस्तावेज से नीति निर्माण में आवश्यक मदद ले सकती है और भविष्य में सरकारी नीतियों के निर्माण में जनता की भी सहभागिता सुनिश्चित होगी. इसे किसी भी रूप में संकीर्ण दलीय भावनाओं से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. सभी दलों के नेताओं को इस दृष्टि पत्र को तैयार करने में सहयोग देना चाहिए.
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