पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राज्य में नये राजनीतिक समीकरणों को लेकर सियासी पारा लगातार चढ़ रहा है. इन सबके बीच भाजपा सांसद शत्रुध्न सिन्हा ने गुरुवार की शाम राजद सुप्रीमोलालू प्रसाद के आवास पर पहुंच कर उन्हें उनके जन्मदिन की बधाई दी. शॉटगन के राजद सुप्रीमो के प्रति प्रेम को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है. दोनों के बीच इस मुलाकात के राजनीतिक मायने तलाशे जाने लगे हैं. शत्रुध्न सिन्हा करीब बीस मिनट तक राजद सुप्रीमो के निवास पर रहे और वहां से बाहर निकलने के बाद कहा कि बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद साथ आए हैं, यह अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि यह नई परंपरा की शुरुआत है.
शत्रुध्न सिन्हा ने लालू प्रसाद से मुलाकात कर नये सियासी चर्चा को हवा दे दी है. शॉटगन के पूर्व के बयानों पर गौर करने पर इस बात संकेत मिलते है कि मौजूदा समय में वह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं. हालांकि उन्होंने कभी खुलकर इस बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन पार्टी में वह उपेक्षा का दंश ङोल रहे हैं यह जगजाहिर है. मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की खूब सराहना की. लालू से मुलाकात के बाद शत्रुध्न सिन्हा ने कहा कि देश-प्रदेश को लालू का नेतृत्व मिलता रहेगा, वहीं लालू प्रसाद ने कहा कि वो और शत्रुध्न सिन्हा भले ही अलग-अलग पार्टी में हों लेकिन हर सुख-दुख में साथ खड़े रहते हैं.
शत्रुघ्न सिन्हा के बोल…
शॉटगन ने कहा कि हमें अपनी खामियों को दूर करना चाहिए और कमजोरियों को ताकत बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पार्टी ने किसी पद के लायक नहीं समझा. शॉटगन ने कहा उन्हें नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का स्नेह-आशीष मिला है और तब से भाजपा में . भाजपा के सीएम प्रत्याशी के संबंध में शॉटगन ने कहा कि बड़ी देर कर दी मेहरवां आते-आते. लोग कहते हैं कि अब घोषणा करना भी ठीक नहीं होगा. मेरी तो सीएम बनने की न इच्छा है न पार्टी से अपेक्षा है लेकिन एनडीए में कई ऐसे लोग हैं जो मुख्यमंत्री पद के उपयुक्त हैं.
बिहार में भाजपा के अच्छे दिन आयेंगे या नहीं यह वक्त बतायेगा: शॉटगन
भाजपा सांसद शत्रुध्न सिन्हा ने बीते दिनों कहा था कि लालू-नीतीश आजमाये और परखे हुए नेता हैं. दोनों के हाथ मिलाने पर आगामी विधानसभा चुनाव में हमारे के लिए कड़ी चुनौती होगी. हमें अपने घर को मजबूत करना होगा. हम अपने घर को देखें. चुनौती बड़ी है. हम उन नेताओं को कमजोर समझने की गलती न करें. हमें कड़ी मेहनत करनी होगी. तब ही हम जीत की उम्मीद कर सकते हैं. उनकी बातों से साफ है कि ये दोनों नेता भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. केंद्र में मंत्री नहीं बनाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में मुझेक्यों नहीं शामिल किया गया, मैं नहीं जानता हूं, लेकिन मेरे कद को देखते हुए पार्टी नेतृत्व को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में जिम्मेवारी सौंपनी चाहिए. भाजपा सांसद के इस बयान से इस बात का संकेत मिलने लगा है कि पार्टी के अंदर भी कलह तेज होने लगा है. ऐसे में भाजपा के लिए बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को सुनिश्चत करना मुश्किल दिख रहा है. बिहार में भाजपा के अच्छे दिन आयेंगे या नहीं यह वक्त बतायेगा.