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याद किये गये राष्ट्रकवि दिनकर

पटना: सोमवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर राजेंद्रनगर के दिनकर गोलंबर स्थित प्रतिमा पर शिक्षा मंत्री पीके शाही ने माल्यार्पण किया और कहा कि राष्ट्रकवि का बचपन काफी संघर्षपूर्ण रहा. वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. मौके पर डीएम डॉ एस सरवण कुमार, एसपी जयंत कांत, जदयू महासचिव छोटू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2013 7:05 AM

पटना: सोमवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर राजेंद्रनगर के दिनकर गोलंबर स्थित प्रतिमा पर शिक्षा मंत्री पीके शाही ने माल्यार्पण किया और कहा कि राष्ट्रकवि का बचपन काफी संघर्षपूर्ण रहा. वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे.

मौके पर डीएम डॉ एस सरवण कुमार, एसपी जयंत कांत, जदयू महासचिव छोटू सिंह, नंद किशोर कुशवाहा, श्रीकांत सत्यदर्शी, अजय कुमार आदि उपस्थित थे. उधर, लोजपा कार्यालय में आयोजित जयंती समारोह में पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा कि दिनकर क्रांतिकारी कवि थे. सामाजिक व राष्ट्रीय समस्याओं पर अपनी कविताओं के माध्यम से देश के लोगों को कई बार झकझोरा था.

मैं जब दूरसंचार मंत्री था, तो उनका चित्र संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में लगवाया व उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी करवा कर उन्हें सम्मान देने का काम किया. मौके पर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, राघवेंद्र सिंह कुशवाहा, ललन कुमार चंद्रवंशी, ललन प्रसाद सिंह, नरसिंह पासवान, सलाउद्दीन खां, रामलखन राम, सुरेंद्र कुमार चौधरी, रमेश चंद्र कपूर, महताब आलम, अनिल कुमार साधु, विजय सिंह, विनय सिंह, डॉ उषा शर्मा आदि उपस्थित थे.

समझौते को अस्वीकार करते रहे
मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग के तत्वावधान में बिहार राज्य अभिलेखागार सभागार में आयोजित जयंती समारोह में बीएन मंडल विवि के पूर्व कुलपति डॉ अमरनाथ सिन्हा ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर को बुद्ध, महावीर व रामकृष्ण आदि से प्रेरणा मिली थी. वे समझौते को अस्वीकार करते रहे. उनकी कल्पना रूढ़िवादिता से भरा हुआ नहीं होता. उन्होंने जनमानस की गहरी बातों को रखने का प्रयास किया. समारोह का उद्घाटन संयुक्त निदेशक प्रभाकर झा ने किया. संस्कृत कॉलेज, अरवल के हिंदी विभाग के प्राध्यापक विजय कुमार शांडिल्य ने कहा कि दिनकर को ओज व क्रोध का कवि कहा जाता है. राजभाषा त्रैमासिक के पूर्व संपादक कुणाल कुमार ने कहा कि तुलसीदास के बाद दिनकर ही सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं.

अभिलेखागार के निदेशक विजय कुमार ने कहा कि दिनकर इतिहास के विद्यार्थी थे. राजभाषा पदाधिकारी (उर्दू) शाहिद जमील ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट किया. राजभाषा पदाधिकारी सिद्धेश्वर ने अतिथियों का स्वागत किया. इस मौके पर एखलाक अहमद, प्रमोद कुमार, नीलम पांडेय, केके उपाध्याय, माला सिन्हा, शत्रुघ्न ठाकुर, विमलेश मिश्र, तारिक, कैलास दास, विजय कुमार दिवाकर, दीपक बख्शी, श्यामनदंन चौधरी, एकबाल अंसारी, रवींद्र कुमार पांडेय, अंबिका प्रसाद, विष्णुदेव सहनी, मुख्तार आदि उपस्थित थे.

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