धीमी गति: आठ विभागों पर 18 सौ मुकदमे

पटना: राज्य सरकार के विभागों में सेवांत लाभ के लिए गठित विभागीय शिकायत निवारण समिति के कार्य नहीं करने से राज्य सरकार पर अपने ही सेवानिवृत्त कर्मियों से मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण विभागों पर अनावश्यक मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है. सिर्फ आठ विभागों पर 1759 मुकदमा दर्ज है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2015 5:58 AM
पटना: राज्य सरकार के विभागों में सेवांत लाभ के लिए गठित विभागीय शिकायत निवारण समिति के कार्य नहीं करने से राज्य सरकार पर अपने ही सेवानिवृत्त कर्मियों से मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण विभागों पर अनावश्यक मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है. सिर्फ आठ विभागों पर 1759 मुकदमा दर्ज है.

अन्य विभागों के मामले को जोड़ दिया जाये तो यह संख्या दो हजार को पार कर जायेगी. यह खुलासा मुख्य सचिव द्वारा बिहार राज्य मुकदमा नीति के तहत विभागों वर लदे मुकदमों की समीक्षा के दौरान हुआ. विभागों के ऐसे मामलों के नजर अंदाज करने के कारण राज्य सरकार की मुकदमा नीति 2011 बेअसर साबित हो रही. इसके कारण विभागों पर अपने ही सेवानिवृत कर्मियों को मुकदमा दर्ज करना पड़ रहा है.

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इम्पावर्ड कमेटी की बैठक में मुख्य सचिव ने विभागीय प्रधान सचिवों और सचिवों से कहा कि सिर्फ संसदीय कार्य विभाग, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग और परिवहन विभाग ही ऐसा विभाग है, जहां कर्मियों के किसी प्रकार के सेवांत लाभ का मामला दर्ज नहीं है. मुख्य सचिव ने कुछ चुने हुए विभागों के बारे में बताया कि स्वास्थ्य विभाग पर 698, शिक्षा विभाग पर 203, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पर 186, ग्रामीण कार्य विभाग पर 170, लघु जल संसाधन विभाग पर 169, सामान्य प्रशासन विभाग पर 119, भवन निर्माण विभाग पर 107 और निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग पर 107 मुकदमा दर्ज है. इसके अलावा अन्य विभागों पर भी कुछ न कुछ सेवांत लाभ लंबित रहने का मामला दर्ज है. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि सेवांत लाभ के लिए विभागों द्वारा नियमित पेंशन अदालत के आयोजन का प्रावधान है. इसके बावजूद कई विभागों से पेंशन अदालत आयोजित करने की सूचना नहीं मिली है.

ऐसे विभागों को विभागीय शिकायत निवारण समिति के बारे में प्रचार-प्रसार करने का उन्होंने निर्देश दिया. उन्होंने कहा है कि सेवांत लाभ का निष्पादन त्वरित गति से किया जाये ताकि कर्मियों को कोर्ट की शरण में नहीं जाना पड़े.
मुख्य सचिव ने माना कि मुकदमा नीति 2011 में सेवांत लाभ के लिए कर्मियों को निर्धारित अवधि में लाभ देकर ही मुकदमों में कमी लाना था. लेकिन प्रभावी पूर्ण कार्रवाई नहीं होने के कारण विभागों पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है. उन्होंने विभागों को सुझाव दिया है कि मुकदमा विभागीय शिकायत निवारण समिति में आठ सप्ताह के अंदर तार्किक आदेश पारित करना सुनिश्चित करें.

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